नई दिल्ली : भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह आईडीबीआई बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करना चाहती है. बीमा कंपनी ने कहा कि इसके पीछे वजह यह है कि वह वर्ष 2000 से ही बैंकिंग परिचालन शुरू करने पर विचार कर रही है. एलआईसी ने न्यायमूर्ति विभू बाखरू से कहा कि उसका अपना बैंक हो इसके लिये उसने कई बार प्रयास किये, लेकिन उसके ये प्रयास सफल नहीं हुए. 

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एलआईसी की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कंपनी ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए भी आवेदन किया. अदालत ने एलआईसी से पूछा कि इस निवेश की वजह से यदि उसे नुकसान होता है, तो अपनी पॉलिसियों के तहत ग्राहकों को बोनस कैसे दे पाएगी. साथ ही अदालत ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार मुनाफे की गारंटी दे रही है. 

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा कि एलआईसी के पालिसीधारकों को घाटे को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार उनके दावों-निवेश का ध्यान रखेगी. 

अदालत ने पूछा, ‘लेकिन बोनस घोषित करने के लिये आपको मुनाफा घोषित करना होगा. क्या सरकार आपको मुनाफे की गारंटी के लिये वचन दे रही है?’ इसके साथ ही अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को तय कर दी. 

मामले में आल इंडिया आईडीबीआई आफीसर्स एसोसियेसन की तरफ से अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए. एसोसियेसन ने आईडीबीआई बैंक में एलआईसी द्वारा 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण को चुनौती दी है.