Cow dung Paint: अभी तक हम गोबर्धन को एक त्योहार के रूप में ही मनाते आ रहे हैं, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब सच में ही गोबर से धन (Gobar se Dhan) बरसेगा. किसानों की आमदनी बढ़ाने में गोबर का अहम रोल होगा. किसान जल्द ही गोबर से इनकम (Gobar se Income) करेंगे. 

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गाय का दूध-घी, गोमूत्र से बने पेस्टीसाइट, गाय के गोबर के दीये और गाय के गोबर से बना पेंट. जी हां, सही पढ़ा आपने, गाय के गोबर से बना पेंट. वही पेंट जिससे आप अपने घर, ऑफिस या दुकान रंगते हैं. खादी इंडिया गाय के गोबर से बना पेंट लेकर आया है. इस पेंट को बाजार में मंगलवार को लॉन्च किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) इस पेंट को लॉन्च करेंगे. इस पेंट को खादी प्राकृतिक पेंट (Khadi Prakritik Paint) के नाम से लॉन्च किया जा रहा है. इस वेदिक पेंट (Vedic Paint) नाम दिया गया है. 

गाय के गोबर से बने पेंट की बिक्री खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की मदद से की जाएगी. इस गोबर पेंट को खादी और ग्रामोद्योग आयोग की जयपुर की इकाई कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट (Kumarappa National Handmade Paper Institute) ने तैयार किया है. खास बात ये है कि इस पेंट को बीआईएस (BIS) यानी भारतीय मानक ब्यूरो भी प्रमाणित कर चुका है. किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में गाय के गोबर से बना पेंट एक बड़ा कदम है. 

एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, इको फ्रेंडली पेंट (Cow dung Paint)

खादी और ग्रामोद्योग आयोग का कहना है कि गाय के गोबर से बना यह पेंट एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और इको फ्रेंडली है. दीवार पर पेंट करने के बाद यह सिर्फ चार घंटे में सूख जाएगा. इस पेंट में आप अपनी जरूरत के हिसाब से रंग भी मिला सकते हैं.

अलग-अलग पैकिंग में तैयार (Khadi Prakritik Paint)

खादी प्राकृतिक पेंट (Khadi Prakritik Paint) दो रूप में उपलब्ध होगा, डिस्टेंपर पेंट (distemper paint) और प्लास्टिक एम्युनेशन पेंट (plastic emulsion paint). बताया गया है कि इस पेंट में हैवी मैटल (heavy metals) जैसे- सीसा (lead), पारा (mercury), क्रोमियम (chromium), आर्सेनिक, कैडमियम आदि का इस्तेमाल नहीं किया गया है. फिलहाल इसकी पैकिंग 2 लीटर से लेकर 30 लीटर तक तैयार की गई है. 

30,000 रुपये की इनकम (Gobar se Dhan)

खादी और ग्रामोद्योग आयोग का कहना है कि इस पेंट से स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे. पेंट की इस तकनीक से गाय के गोबर का इस्तेमाल बढ़ेगा. यह गोशालों की आमदनी बढ़ाने में भी अहम भूमिका अदा करेगा. इस पेंट के निर्माण से किसान या गोशाला को एक पशु से हर साल तकरीबन 30,000 रुपये की आमदनी होगी.

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