जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और धारा 35-ए के हटने के बाद राज्य की इकोनॉमी को नई रफ्तार मिलने की संभावनाएं जग गई हैं. प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर के विकास की राह में धारा 370 सबसे बड़ा रोड़ा है, लेकिन चूंकि अब मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए धारा 370 और 35-ए को हटा दिया है, तो देश के तमाम बड़े बिजनेसमैन और इंडस्ट्री जम्मू-कश्मीर में व्यापार और बिजनेस की नई संभावनाएं तलाश रहे हैं.

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एसोचैम के अध्यक्ष बालकृष्ण गोयनका ने बताया कि अब जम्मू-कश्मीर में कारोबारी रुख करेंगे. इससे रोजगार के अवसर खुलेंगे. देश की इंडस्ट्री के दिग्गजों की जम्मू-कश्मीर को लेकर ये नई आवाज है. आज कई इंडस्ट्री दिग्गज, कई बिजनेसमैन वहां मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट लगाना चाहते हैं.

कई इंडस्ट्री जम्मू-कश्मीर का रुख करना चाह रही हैं. ऑटो सेक्टर से लेकर रिटेल तक सभी जम्मू-कश्मीर में दिख रही नई आर्थिक संभावनाओं को हासिल करना चाहते हैं. केंद्र सरकार भी चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के विकास में अब इंडस्ट्री आगे आए और धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर के आथिक विकास के दावे को हकीकत में तब्दील किया जाए.

जम्मू-कश्मीर अपने पड़ोसी राज्य पंजाब से क्षेत्रफल के लिहाज से लगभग 4 गुना बड़ा है, लेकिन इकोनॉमी के मामले में पंजाब की एक तिहाई इकोनॉमी है. आकंडों के नजरिए से  जम्मू-कश्मीर की ग्रॉस स्टेट डोमैस्टिक प्रोडक्ट यानि जीएसडीपी साल 2018-19 में सिर्फ 1.57 लाख करोड़ रुपए ही था. ये आंकड़े राज्य की कमजोर इकोनॉमी को दिखाते हैं.

सरकार आर्थिक नजरिए से पिछड़े जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए जल्द ही बड़े कदम का ऐलान कर सकती है. साथ ही इंडस्ट्री का भरोसा जीतने के लिए भी कई रियायतों और सहूलियतों का एलान कर सकती है.