भारत ने मलेशिया (Malaysia) से आयातित इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर (Electronic calculator) पर पांच साल के लिए डंपिंग रोधी शुल्क (anti-dumping duty) लगा दिया है. यह कदम घरेलू कंपनियों को सस्ते आयात से संरक्षण देने के लिए उठाया गया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR)) ने जांच के बाद मलेशिया से आयातित कैलकुलेटरों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की है.

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राजस्व विभाग के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कैलकुलेटर पर 0.92 डॉलर प्रति इकाई का डंपिंग रोधी शुल्क लगाया गया है. यह पांच साल तक लागू रहेगा.

डीजीटीआर ने अपनी जांच में पाया कि मलेशिया से कैलकुलेटर (calculator) का आयात सामान्य कीमत से कम पर हो रहा है. इससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है और यह डंपिंग का मामला बनता है. डीजीटीआर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करता है. इस पर अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय लेता है.

अजंता एलएलपी ने मलेशिया से आयातित कैलकुलेटर पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने के लिए एप्लीकेशन किया था. दोनों देशों के बीच 2018-19 में द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 17.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 14.71 अरब डॉलर था. खबरों में कहा गया है कि प्रिंटर से अटैच कैलकुलेटर, प्रिंटिंग कैलकुलेटर, चार्ट और ग्राफ बनाने वाले कैलकुलेटर पर यह एंटी डंपिंग ड्यूटी नहीं लगेगी.

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मामले में, डंपिंग तब होता है जब कोई देश या फर्म अपने घरेलू बाजार में उस उत्पाद की कीमत से कम कीमत पर किसी वस्तु का निर्यात करता है. डंपिंग आयात करने वाले देश में उस उत्पाद की कीमत को प्रभावित करता है, मार्जिन को मारता है और विनिर्माण फर्म का मुनाफा होता है.

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वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुसार, एक देश को घरेलू निर्माताओं को एक लेवल पर ऐसे डंप किए गए उत्पादों पर टैरिफ लगाने की अनुमति है. भारत में डीजीटीआर की गहन जांच के बाद ही ड्यूटी लगाई जाती है. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) शासन के तहत डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की अनुमति है. भारत और मलेशिया इसके सदस्य हैं.