भारत के रीयल स्टेट सेक्टर में आने वाले दिनों में तेजी आ सकती है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करने और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई दरें लागू होने से नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घरों की बिक्री बढ़ने के आसार हैं. सीबीआरई के चेयरमैन व सीईओ (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया मध्य-पूर्व व अफ्रीका) अंशुमन मैगजीन ने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती को लेकर सक्रिय रहा है, हालांकि ब्याज दरों में कटौती का हस्तांरण करने की जिम्मेदारी बैंकों पर है. बैंकों द्वारा ब्जाज दरों में कटौती किए जाने पर ग्राहक खरीदारी के फैसले लेने को उत्साहित होंगे, जिससे आवासीय क्षेत्र में तेजी आएगी."

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आरबीआई ने पिछले सप्ताह गुरुवार को रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की, जिसके बाद रेपो रेट अब छह फीसदी हो गया है. केंद्रीय बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों से इस कटौती का हस्तांतरण ग्राहकों को करने को कहा है. नेशनल रीयल स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी ने कहा, "भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए तरलता की जरूरत है. आरबीआई के कदम से उद्योग के रुझान में तेजी आने की संभावना है और इससे रियल स्टेट के अंशधारकों व घर खरीदने वालों को राहत मिलेगी."

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रियल स्टेट को प्रोत्साहन मिलने का दूसरा प्रमुख कारक जीएसटी की नई दरें हैं, जो 1 अप्रैल, 2019 से लागू हैं. जीएसटी परिषद ने फरवरी में निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी कर दी और सस्ते आवासीय परियोजनाओं पर यह दर आठ फीसदी से घटकर एक फीसदी हो गई. हालांकि नई दरों में इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं है.