GST ka Janjal: देश में टैक्स पर टैक्स का जाल कम करने के लिए GST लाया गया था. इसको लाने का सबसे बड़ा मकसद एकरुपता लाना था. कुछ हद तक ये लक्ष्य हासिल भी हुआ लेकिन कुछ समस्याएं अभी भी बनी हुईं हैं. Zee Business लगातार इन समस्याओं को उठा रहा है. हमने छोटे काराबोरियों की दिक्क्तों को लेकर CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल से खास बात की. उन्होंने कहा कि GST में बार-बार बदलाव से कारोबारियों को दिक्कत हो रही है. 

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रोज हो रहे बदलाव से व्यापारियों को दिक्कतें (Traders face problems with daily amendments)

CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि जिस GST की कल्पना शुरू में की गई थी वो वास्तव में बहुत ही बेहतर था. लेकिन इसमें 4 साल में 950 बार बदलाव हो चुका है. इसके बाद भी GST Taxation स्थिर नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सिस्टम स्थिर नहीं है ऐसे में अगर व्यापारियों के उपर compliance का बोझ डाला जाएगा तो एक आम व्यापारी कैसे उसे कर पाएगा, ये समझ पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने शिकायती लहजे में कहा कि अभी जो GST है वो 'Complicated taxation system' है. इसमें रोज बदलाव हो रहा है, जिससे व्यापारियों को परेशानी हो रही हैं.

'ये ट्रेडर्स फ्रेंडली नहीं' ('It's not traders friendly')

उन्होंने कहा कि ये वो टैक्स सिस्टम नहीं है जिसे लेकर सरकार ने व्यापारियों के साथ चर्चा की थी. ये ट्रेडर्स फ्रेंडली नहीं है, हां ये गर्वमेंट फ्रेंडली  GST हो सकता है. प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि 4 साल बाद भी GST के Portal की विश्वसनीयता नहीं बन पाई है. देश में कई जगह इंटरनेट अच्छी तरह काम नहीं करता ऐसे में E-compliance एक बड़ा विषय है. हाल ही में इसमें जो संशोधन किया गया उसमें एक संशोधन तो ऐसा है जिसमें Principle of natural justice को भी छोड़ दिया गया. अधिकारियों को ये Power दिया गया है कि वो चाहें तो किसी व्यापारी को सुनवाई का मौका दिए बिना उसका GST नंबर कैंसिल कर सकते हैं. 

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