अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार के चलते पिछले एक साल में इंटरनेशनल मार्केट में रूई (कॉटन) का भाव 32 फीसदी से ज्यादा टूटा है. इंटरनेशनल मार्केट में रूई के दाम में आई गिरावट से भारतीय रूई बाजार में बेचैनी का माहौल है. भारतीय वायदा बाजार में पिछले साल के मुकाबले रूई के भाव में 16 फीसदी की गिरावट आई है. 

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मुंबई स्थित डीडी कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अरुण शेखसरिया के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव का कॉटन बाजार पर काफी असर पड़ा है. इसकी वजह यह है कि कॉटन की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती और अमेरिका कॉटन का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है. दो बड़े व्यापारिक साझेदारों के बीच टकराव के कारण दुनियाभर का कॉटन बाजार प्रभावित हुआ है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक देश है. 

गुजरात के कड़ी स्थित एस. राजा एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के दिलीप पटेल ने कहा कि इंटरनेशनल मार्केट में कॉटन में आई गिरावट से भारतीय बाजार में आगे भाव और भी टूटेगा, क्योंकि फिलहाल स्थिति में सुधार की संभावना कम दिखती है.

पिछले हफ्ते शुक्रवार को देश के सबसे बड़े वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कॉटन के चालू महीने का अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले 510 रुपये यानी 2.48 फीसदी की गिरावट के साथ 20,060 रुपये प्रति गांठ (170 किलो) पर बंद हुआ. पिछले साल दो अगस्त को एमसीएक्स पर कॉटन का भाव 23,990 रुपये प्रति गांठ था. इस प्रकार पिछले एक साल में रूई के भाव में 3,930 रुपये प्रति गांठ यानी 16.38 फीसदी की गिरावट आई है. 

 

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बेंचमार्क कॉटन गुजरात शंकर-6 (29 एमएम) का भाव इस सप्ताह 42,000-42,300 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) रहा जबकि पिछले साल इसी महीने के दौरान देश में शंकर-6 वेरायटी का कॉटन 46,700 रुपये प्रति कैंडी के ऊपर ही था. 

इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर शुक्रवार को कॉटन का दिसंबर अनुबंध 2.95 सेंट यानी 4.73 फीसदी की गिरावट के साथ 59.42 सेंट प्रति पौंड पर बंद हुआ. पिछले साल दो अगस्त को आईसीई पर कॉटन का भाव 88.17 सेंट प्रति पौंड था. इस प्रकार आईसीई पर पिछले एक साल में कॉटन के भाव में 32.62 फीसदी की गिरावट आई है. 

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुमान के अनुसार, कॉटन सीजन 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में कॉटन का उत्पादन 312 लाख गांठ है जबकि खपत 315 लाख गांठ रहने का अनुमान है. पिछले साल का बकाया स्टॉक 33 लाख टन था और आयात तकरीबन 14.5 लाख गांठ हो चुका है. 

एसोसिएशन ने जुलाई में जारी अपने अनुमान में बताया था कि 30 सितंबर को समाप्त होने वाले सीजन में देश में कॉटन की कुल सप्लाई 376 लाख गांठ रह सकती है जिसमें 33 लाख गांठ बकाया स्टॉक, उत्पादन 312 लाख गांठ और आयात 31 लाख गांठ शामिल था. हालांकि बाजार विश्लेषक बताते हैं कि आयात घट सकता है. एसोसिएशन ने चालू सीजन में देश से 46 लाख गांठ कॉटन के निर्यात का अनुमान जारी किया था. 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा इस सप्ताह जारी बुआई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में कपास का रकबा बीते सीजन के मुकाबले इस साल ज्यादा हो चुका है. कपास का रकबा पिछले साल से 5.35 लाख हेक्टेयर अधिक हो चुका है. किसानों ने पिछले साल अब तक 109.79 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई की थी जबकि इस साल 115.15 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल लग चुकी है.

सालासर बालाजी एग्रो टेक के शिवराज खेतान के मुताबिक, कॉटन का बाजार अगर इसी तरह मंदा रहा तो अगले सीजन में कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) को किसानों से ज्यादा कपास एमएसपी पर खरीदना पड़ेगा. 

सरकार ने आगामी सीजन के लिए कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मध्यम रेशा वाले कपास के लिए 5,255 रुपये प्रति क्विंटल और लंबे रेशे वाले कपास का 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है.