FMCG कंपनी नेस्ले भारत जैसे विकासशील देशों में बच्‍चों के दूध और सेरेलेक जैसे प्रोडक्‍ट्स में ज्‍यादा चीनी और नमक का इस्‍तेमाल करता है. जबकि यही प्रोडक्‍ट्स ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अन्य विकसित देशों में बगैर चीनी के बेचे जा रहे हैं. हाल ही में पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है. 

जानिए क्‍या है पूरा मामला

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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नेस्ले भारत समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बेचे जाने वाले शिशु के दूध और अनाज उत्पादों में चीनी और शहद जैसी चीजें मिलाता है. इस बात का खुलासा तब हुआ जब स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और आईबीएफएएन ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कंपनी के बेचे जा रहे बेबी फूड प्रोडक्‍ट्स के सैंपल्‍स को बेल्जियम की लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया. जांच में सामने आया कि भारत में बिकने वाले नेस्ले के बच्चों से जुड़े उत्पादों की प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में करीब 4 ग्राम चीनी पाई गई. 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली. वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर बेबी प्रोडक्‍ट्स में मिली. वहीं 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी है. वहीं स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले नेस्‍ले के इन्हीं प्रोडक्‍ट्स में चीनी नहीं पाई गई.

Nestle India ने क्‍या कहा

बुधवार को जब ये रिपोर्ट सामने आई तो नेस्‍ले का ये डबल स्‍टैंडर्ड मुद्दा गर्मा गया. इसके बाद Nestle India की ओर से बयान सामने आया है. 'नेस्‍ले इंडिया के प्रवक्‍ता की ओर से कहा गया है कि हम बच्‍चों के प्रोडक्‍ट्स में हाई क्‍वालिटी वाली सामग्री के इस्‍तेमाल को प्राथमिकता देते हैं. पिछले 5 वर्षों में, नेस्ले इंडिया ने हमारे शिशु अनाज पोर्टफोलियो (दूध अनाज बेस्‍ड फूड) में वैरिएंट के आधार पर अतिरिक्त शर्करा को 30% तक कम कर दिया है. हम नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं और गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना अतिरिक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार जारी रखते हैं.'