उत्तर प्रदेश बना सैनेटाइजर उत्पादन का हब, रोजाना 40,000 लीटर से ज्यादा उत्पादन
UP Government ने 42 कंपनियों को सैनेटाइजर बनाने का लाइसेंस दिया है. प्रतिदिन करीब 40 हजार लीटर उत्पादन किया जा रहा है.
कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के चलते देश में सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) की मांग बेतहाशा बढ़ गई है. सैनेटाइजर की मांग इतनी बढ़ गई है कि बाजार से यह गायब हो गया है. अगर कहीं सैनेटाइजर मिल भी रहा है तो या तो वह महंगे दामों पर मिल रहा है या फिर मिलावटी सैनेटाइजर मिल रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिये डॉक्टर बार बार साबुन से हाथ धोने या सैनेटाइजर का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं.
सरकार ने सैनेटाइजर की सप्लाई के लिए इसका उत्पादन (Sanitizer Production) बढ़ाने पर जोर दिया है. इसके लिए शुगर मिलों और शराब कारखानों को लाइसेंस दिए गए हैं. सरकार की पहल के बाद उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सैनेटाइजर बनाने का काम शुरू हो गया है.
यूपी शासन (UP Government) ने 42 कंपनियों को सैनेटाइजर बनाने का लाइसेंस दिया है और इसका प्रतिदिन करीब चालीस हजार लीटर उत्पादन किया जा रहा है.
उप्र के आबकारी और चीनी, गन्ना विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के कारण साफ सफाई के लिये सैनेटाइजर की मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार ने 42 डिस्टलरीज और सैनेटाइजर बनाने वाली कंपनियों को इसके उत्पादन का लाइसेंस दिया है. इनमें 27 डिस्टलरीज और 15 सैनेटाइजर कंपनियां हैं .
भूसरेड्डी ने बताया कि इन सभी 42 कंपनियों में सैनेटाइजर का उत्पादन पिछले एक सप्ताह से शुरू हो चुका है. आज प्रतिदिन 40 हजार लीटर सैनेटाइजर बना रहे हैं. एक दो दिन में यह उत्पादन 60 हजार लीटर प्रतिदिन हो जाने का अनुमान है.
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उन्होंने कहा कि यह डिस्टलरी और सैनेटाइजर बनाने वाली कंपनियां अपने अपने डीलरों के माध्यम से सैनेटाइजर बाजार में उपलब्ध करा रही हैं . इसके अलावा जिन जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीधे सैनेटाइजर की मांग कर रहे हैं उन्हें कंपनियों के माध्यम से तत्काल पर्याप्त मात्रा में सैनेटाइजर उपलब्ध कराया जा रहा है.