आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा, कारिगरों को मिलेंगी मशीन
पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए योजना के तहत कुल 50 करोड़ रुपये की लागत से 10 क्लस्टर स्थापित कर रही है.
सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ने अगरबत्ती बनाने में शामिल कारीगरों और अगरबत्ती उद्योग बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं.
इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय ने सिर्फ अगरबत्ती बनाने के लिए मशीनों की सप्लाई करने पर ही नहीं, बल्कि उद्योग के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया है. अगरबत्ती की मांग पिछले एक साल में बहुत बढ़ गई है.
बता दें कि कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने 'ग्रामोद्योग विकास योजना' (Gramodyog Vikas Yojna) के तहत अगरबत्ती बनाने वालों के लिए एक अलग कार्यक्रम का ऐलान किया था. इसी कार्यक्रम के तहत इस उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है.
ट्रेनिंग और कच्चा माल
सरकार अगरबत्ती उद्योग के लिए कच्चे माल जैसे सुगंध, पैकेजिंग बांस की सप्लाई पर फोकस कर रही है. इस के लिए उत्तर प्रदेश के कन्नौज में एफएफडीसी (फूल और सुगंध विकास केंद्र) में 'उत्कृष्टता केंद्र' तैयार किया जा रहा है.
पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिए योजना के तहत कुल 50 करोड़ रुपये की लागत से 10 क्लस्टर स्थापित कर रही है. इससे 5000 कारीगरों को स्थाई रोजगार और बेहतर आय मिलने की उम्मीद है.
इस कार्यक्रम के तहत देश में 20 पायलट परियोजनाओं के माध्यम से 400 ऑटोमेटिक अगरबत्ती बनाने की मशीनें और 500 पेडल से चलने वाली मशीनें 'स्वयं सहायता समूह और व्यक्तियों को बांटी जाएंगी.
इस कार्यक्रम से लगभग 1500 कारीगरों को लाभ होगा.
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देश को अगरबत्ती सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्यक्रम के कुल आकार को बढ़ाकर 55 करोड़ रुपये से अधिक का कर दिया गया है. लगभग 1500 कारीगरों को कुल 3.45 करोड़ रुपये का तत्काल समर्थन दिया जाएगा.