RBI Repo Rate, Loan Interest Rates: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अगस्त महीने की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (Monetary Policy Committee) में नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. लगातार तीसरी बैठक थी, जब आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दरों को 6.5% पर स्थिर रहने दिया था. हालांकि, पिछले साल मई से आरबीआई ने लगातार पांच रेट में बढ़ोतरी की थी, जिससे इसमें कुल ढाई फीसदी की तेजी आई थी. लेकिन अब राहत की उम्मीद की जाने लगी है. जून तिमाही से ही राहत की आस थी, लेकिन आरबीआई ने रेट को दोनों बार स्थिर रखा. अब आगे अक्टूबर की पॉलिसी में क्या फैसला लिया जा सकता है, इसपर अटकलें लग रही हैं, हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) के बयान से लोन लेने वालों को झटका लग सकता है.

क्या बोले RBI Governor शक्तिकांत दास?

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गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को फूड इंफ्लेशन को लेकर चिंता जताई. उन्होंने खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी को मुद्रास्फीति पर काबू पाने के रास्ते में जोखिम बताया. उन्होंने कहा कि ऐसे झटकों में कमी लाने के लिए सप्लाई सुधारने के लिए समय पर कोशिश करने की जरूरत है. दास ने एक कार्यक्रम में कहा कि सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी का झटका कम समय के लिए है और मौद्रिक नीति मौजूदा झटकों के शुरुआती प्रभावों को कम करने के लिए इंतजार कर सकती है. 

हालांकि उन्होंने कहा कि आरबीआई इसके लिए सजग रहेगा कि इन आघातों के दूसरे दौर के प्रभाव न सामने आएं. उन्होंने कहा, "खाद्य कीमतों में बार-बार हो रही बढ़ोतरी का झटका मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को स्थिर करने के लिए जोखिम पैदा करता है. खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी का दौर सितंबर, 2022 से ही चल रहा है." इसके साथ ही उन्होंने आपूर्ति पक्ष से जुड़े सतत एवं समयबद्ध हस्तक्षेप को भी इस तरह के झटकों की गंभीरता एवं अवधि कम करने के लिए जरूरी बताया.

ब्याज दरों पर क्या रुख रहेगा?

ब्याज दरों में क्या राहत की उम्मीद है? इसपर दास ने कहा कि आरबीआई इंफ्लेशन को चार प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को लेकर प्रतिबद्ध है और देश में ऊंची ब्याज दरें लंबे समय तक रहने वाली हैं. आरबीआई ने पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से मुद्रास्फीति में आई तेजी के बीच ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी कर इसे 6.50 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है. आरबीआई ने मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए ऐसा किया है.

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