हाल ही में मौद्रिक नीति की समीक्षा की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर ने एक बड़ी चिंता जताई है. दरअसल, अनसेक्योर्ड पर्सनल लोन (Unsecured Loan) में तगड़ी तेजी देखने को मिल रही है और यह स्थिति थोड़ी चिंता करने वाली है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बैंकों और एनबीएफसी को पर्सनल लोन दिए जाने को लेकर सचेत किया है.  ऐसे में ये हिदायत दी गई है कि पर्सनल लोन देते वक्त सचेत रहने की जरूरत है. इसे लेकर केंद्रीय बैंक पहले से ही बैंकों से बात कर रही थी. 25 अगस्त को भी शक्तिकांत दास ने बैंकों और एनबीएफसी के साथ एक मीटिंग की थी और इस पर चिंता जताई थी. अब सवाल ये उठता है कि आखिर लोगों की तरफ से लोन लिए जाने से केंद्रीय बैंक क्यों चिंतित है? क्या अधिक लोन लेना चिंता की बात है? क्या इससे इकनॉमी पर कोई असर होता है?

आखिर कितना बढ़ गया रिटेल पर्सनल लोन

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अगर बात रिटेल पर्सनल लोन सेगमेंट की करें तो बैंकिंग सिस्टम में इसकी करीब एक तिहाई हिस्सेदारी है. जून में जारी की गई फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने बताया था कि मार्च 2021 से लेकर मार्च 2023 तक रिटेल लोन सालाना करीब 24.8 फीसदी की दर से बढ़े हैं. छोटी लेंडिंग कैटेगरी में ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है, जैसे क्रेडिट कार्ड, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन और पर्सनल लोन. मार्च 2021-23 का डेटा दिखाता है कि अनसेक्योर्ड रिटेल लोन 22.9 फीसदी से बढ़कर 25.2 फीसदी तक पहुंच गया. वहीं सेक्योर्ड लोन भी 74.8 फीसदी से बढ़कर 77.1 फीसदी पर पहुंच गया. जुलाई के अंत तक बैंकों के अनसेक्योर्ड लोन का पोर्टफोलियो करीब 12 लाख करोड़ रुपये का हो गया. 

पर्सनल लोन बढ़ना क्यों अच्छी बात नहीं है?

अगर लोन बढ़ रहे हैं यानी लोगों की पर्चेजिंग पावर बढ़ रही है. बैंकों के इन लोन के जरिए लोग कुछ ना कुछ खरीद रहे हैं. किसी देश की जीडीपी में अगर पैसा अधिक हो जाता है तो डिमांड भी अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में सप्लाई सीमित होने की वजह से चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगती है. यही वजह है कि समय-समय पर महंगाई को काबू में करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता है, ताकि मार्केट में पैसों के सर्कुलेशन को कंट्रोल किया जा सके. अब अगर लोन में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो जाएगी तो उससे महंगाई के बढ़ने की आशंका बनी रहेगी, इसलिए रिजर्व बैंक थोड़ा चिंतित है.

तेजी से बढ़ रहे लोन में सबसे ज्यादा चिंता वाली बात है अनसेक्योर्ड लोन, जो छोटी-छोटी लेंडिंग की वजह से बढ़ रहे हैं. यह लोन अनसेक्योर्ड हैं, यानी इनके बदले बैंक ने कुछ भी कोलेट्रल नहीं रखा है. ऐसे में अगर किसी वजह से ग्राहक अपना लोन चुकाने में असमर्थ रहते हैं तो बैंक के लिए अपने पैसे रिकवर कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में बैंकों को नुकसान होगा, जिसका सीधा असर भारतीय रिजर्व बैंक और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.

आखिर बढ़ क्यों रहे हैं लोन?

भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ कहा है कि अनसेक्योर्ड लोन तेजी से बढ़ रहे हैं. इस कैटेगरी में क्रेडिट कार्ड लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल के लोन और छोटे पर्सनल लोन आते हैं. इसमें बढ़ोतरी की बड़ी वजह है तमाम कंपनियों के लुभावने ऑफर. अगर मौजूदा वक्त में चल रही फेस्टिव सीजन की सेल की ही बात करें तो इसमें बहुत सारी कंपनियां नो कॉस्ट ईएमआई ऑफर कर रही हैं. इसके लिए बहुत सारे बैंकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर ईएमआई की सुविधा दी जा रही है. तमाम ई-कॉर्मस साइट खुद भी अपने यूजर्स को कुछ क्रेडिट लाइन दे रही हैं. यह भी अनसेक्योर्ड लोन को बढ़ा रहे हैं. वहीं तमाम बैंक भी छोटे-छोटे लोन देने के लिए आए दिन लोगों को फोन करते हैं, वो भी बिना किसी कागजी कार्रवाई को प्री-अप्रूव्ड लोन. ईएमआई में हर महीने एक छोटा सा अमाउंट जेब से जाता है, इसलिए बहुत सारे लोग कई सारे सामान ईएमआई पर खरीद लेते हैं. इस तरह वह अपनी पर्चेजिंग पावर से भी ज्यादा की शॉपिंग कर लेते हैं, जिससे अनसेक्योर्ड लोन बढ़ता हुआ दिखता है.