Online Transactions: ऑनलाइन ट्रांजैक्शन काफी समय से होता आ रहा है. भले ही यह हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया हो लेकिन फिर भी हम कभी-कभी गलतियां कर देते हैं. अपने बैंक ऐप के जरिए किसी को भी पैसे ट्रांसफर करते समय हमेशा अलर्ट रहना चाहिए, जिससे पैसा ब्लॉक न हो और न ही किसी दूसरे को चला जाए.

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ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

अपने बैंक खाते से पैसा ट्रांसफर करते समय हम एनईएफटी, आईएमपीएस और आरटीजीएस जैसे माध्यमों का इस्तेमाल करते हैं. हमें इन तीनों माध्यमों को समझने की जरूरत है, जिससे बिना किसी देरी के जरूरत पड़ने पर पैसा ट्रांसफर हो जाए.

एनईएफटी: नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) यह ऑनलाइन फंड ट्रांसफर का एक मोड है. यहां पैसा 24 घंटे के भीतर पूरे देश में बैंकों के बीच ट्रांसफर हो जाता है. खास तौर से एक बैंक ब्रांच को कस्टमर के फंड ट्रांसफर करने में एनईएफटी सक्षम (NEFT enabled) होना चाहिए जिससे दूसरी पार्टी को पैसा मिल सके.

आईएमपीएस: तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) मोबाइल फोन के जरिए ऑपरेट होने वाला एक त्वरित इंटरबैंक इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सर्विस है. इस सर्विस का इस्तेमाल करने पर पैसा तुरंत ट्रांसफर हो जाता है.

आरटीजीएस: रीयल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) के लिए रिक्वेस्ट होने पर तुरंत ट्रांजैक्शन लिए परमिशन देता है. प्रक्रिया रियल टाइम के आधार पर होती है और लाभार्थी को 30 मिनट में पैसा मिल जाता है. 

-किसी को फाइनेंशियल ऐप से पैसा ट्रांसफर करते समय हमेशा एनश्योर करें कि उसका फोन नंबर सही है. इसमें कोई भी डिजिट मिसिंग नहीं है और सभी संख्याएं सही हैं.

-अपने बैंक ऐप पर किसी लाभार्थी को जोड़ते समय एनश्योर करें कि आपने उसे सही अकाउंट नंबर में पंच किया है. अगर आप इसमें गलती करते हैं तो हो सकता है कि खाता रजिस्टर्ड न हो.

-आईएफएससी कोड को दो या तीन बार जांच लें. चूंकि इसमें अल्फाबेट और डिजिट दोनों होते हैं इसलिए यह कंफ्यूजिंग भी हो सकता है. सभी बैंकों का उसकी हर शाखा के लिए एक अलग IFSC कोड होता है. ध्यान रखें कि आप अपनी ब्रांच से संबंधित सिस्टम में सही IFSC कोड दर्ज कर रहे हैं.

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