RRBs Bank Merger: देश के बैंकिंग क्षेत्र में 1 अप्रैल से बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Bank) का मर्जर इस तारीख से होने जा रहा है. इसी कड़ी में देश में तीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Bank)- बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक (प्रायोजक - बैंक ऑफ बड़ौदा), पुर्वांचल बैंक (प्रायोजक- एसबीआई) और काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक (प्रायोजक- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) का आपस में मर्जर होने जा रहा है. यहां बता दें, बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक (Baroda Uttar Pradesh Bank) में पुर्वांचल बैंक (Purvanchal Bank) और काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक (kashi gomti samyut gramin bank) का मर्जर होगा. तीनों के मर्जर होने के बाद नए बैंक का नाम बड़ौदा यूपी बैंक (Baroda UP Bank) होगा. नए बैंक का लोगो भी तैयार है. नए लोगो के साथ बैंक 1 अप्रैल 2020 से काम करना शुरू कर देगा. 

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मर्जर के बाद बने नए बड़ौदा यूपी बैंक (Baroda UP Bank) का मुख्यालय गोरखपुर होगा. मर्जर के बाद बने बड़ौदा यूपी बैंक  के पहले चेयरमैन द्वारिका प्रसाद गुप्ता होंगे. जी बिज़नेस (Zee Business) से बातचीत में गुप्ता ने बताया कि बैंक के दायरे में उत्तर प्रदेश के 31 जिले आ जाएंगे. मर्जर के बाद इस बैंक की कुल 1983 शाखाएं होंगी. इसके अलावा उन्होंने बताया कि नए बैंक का कारोबार करीब 65000 करोड़ रुपये का हो जाएगा. इसी तरह, बैंक कस्टमर की कुल संख्या करीब तीन करोड़ हो जाएगी.उन्होंने बताया कि यह बैंक देश में सबसे अधिक शाखाओं वाला ग्रामीण बैंक कहलाएगा. उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल से तीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक- बड़ौदा यूपी बैंक आर्यावर्त ग्रामीण बैंक और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक रह जाएंगे.

नए बैंक की वेबसाइट पर भी काम चल रहा है. जल्दी ही बैंक इस वेबसाइट को जारी करेगा. इसके अलावा बैंक टोल फ्री नंबर भी कस्टमर को उपलब्ध कराएगा. नए चेयरमैन गुप्ता का कहना है कि कस्टमर सर्विस पर हमारा फोकस रहेगा और हम इसमें बेहतर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने कहा कि कस्टमर सर्विस के लिए हमारी पूरी तैयारी है.

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इससे पहले बड़ौदा उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक का हेड ऑफिस रायबरेली, पुर्वांचल बैंक का गोरखपुर और काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक का बनारस में है. नए साथ ही तीनों बैंकों के मर्जर के बाद बैंक की क्षमता बेहद मजबूत हो जाएगी. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में फिलहाल भारत सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंकों की 35 प्रतिशत और 15 प्रतिशत राज्य सरकार की है. बता दें, कि देश में 58 ग्रामीण बैंक थे जो मर्जर के बाद अब 43 रह गए हैं.