केंद्रीय रिजर्व बैंक जल्द ही P2P Lending Platforms पर एक्शन ले सकता है. RBI की नजर P2P Lending Platforms पर है. जानकारी मिली है कि रिजर्व बैंक ने ऐसे प्लेटफॉर्म्स से उनका फाइनेंशियल डाटा मांगा है, ऐसे में अगर कुछ अनियमितता होती है तो बैंक की ओर से एक्शन लिया जा सकता है. P2P Lending Platforms मतलब peer-to-peer उधार दिलाने वाले प्लेटफॉर्म. और इसतरह काम करते हैं, जिसपर उधारकर्ता, सीधे कर्जदाता से डील करता है, बीच में कोई वित्तीय संस्था मध्यस्थता नहीं करती है.

कहां हो रही है गड़बड़ी?

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जानकारी है कि आरबीआई की ओर P2P lending platforms की ओर से गारंटीड रिटर्न का विज्ञापन करना गलत है. ये प्लेटफॉर्म ग्राहक को नहीं बताते कि उनका पैसा किसको उधार पर दिया जा रहा है. ग्राहक से जो उनकी सहमति ली जाती है, उसपर ये प्लेटफॉर्म फुल डिस्क्लोज़र भी नहीं देते. मियाद से पहले कस्टमर अगर पैसा वापिस लेता है तो ये प्लेटफॉर्म वो लोन आगे बेच देते हैं जोकि गाइडलाइन के हिसाब से सही नही है.

ग्राहक को कैसे नुकसान होता है? 

गारंटीड रिटर्न के झांसे में फंसकर पैसे का निवेश करना जोखिमभरा हो सकता है. और इससे बैंकों की योजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि ज्यादा रिटर्न के चक्कर में ग्राहक बैंक की स्कीम में निवेश की बजाय यहां पैसा डालता है.

क्या चाहता है RBI?

आरबीआई चाहता है कि P2P lending platforms रिटर्न के झूठे वादे बंद करें और जब उनके प्लेटफॉर्म पर कोई ट्रांजैक्शन हो रहा है तो उसमें ग्राहक को सारी प्रक्रियाओं को लेकर फुल डिस्क्लोजर मिले.