केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी में बैंकों, NBFCs समेत सारे वित्तीय संस्थानों से जुड़ी शिकायतों को आसानी से दूर करने के लिए बड़ा बदलाव किया गया है. अब ग्राहकों की समस्याओं का हल आसानी से होगा. इसके लिये RBI ने MPC में internal ombudsman scheme में बड़ा बदलाव किया है.

क्या है Internal Ombudsman Mechanism?

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साल 2015 में रिज़र्व बैंक ने कुछ कॉमर्शियल बैंकों के लिए Internal Ombudsman Mechanism, बैंकों के internal grievance redress system को मज़बूत बनाने के लिये लांच किया था. इस सिस्टम का उद्देश्य था ग्राहकों की शिकायतों को पूरी तरह से खारिज करने से पहले निष्पक्ष तरीके से समाधान निकालना. धीरे धीरे यह फ्रेमवर्क सारे नियमित वित्तीय संस्थानों के लिये लागू तो हो गया लेकिन हर वित्तीय संस्थान ने अपने तरीके से इसे लागू किया. 

फिलहाल Internal Ombudsman Scheme की फ्रेमवर्क गाइडलाइंस हर वित्तीय संस्थान के लिये अलग-अलग है. अब RBI हर एक बैंक , NBFC समेत सभी वित्तीय संस्थानों के लिये consolidated internal ombudsman framework लेकर आयेगा, जिससे कि हर संस्थान में शिकायत निपटाने की टाइमलाइन, internal ombudsman की पात्रता, deputy internal ombudsman की पोस्ट इत्यादि सबके लिये सामान होगी जिससे कि ग्राहकों की समस्याओं का निपटारा जल्दी होगा. जल्द ही समान फ्रेमवर्क गाइडलाइंस पर RBI stakeholders की राय लेने के लिये एक ड्राफ़्ट रिलीज करेगा.

बैंकिंग सेक्टर पर बोले गर्वनर शक्तिकांत दास

आरबीआई गवर्नर ने शुक्रवार को RBI MPC नतीजों की घोषणा करते हुए बैंकिंग सिस्टम को भी संबोधित किया. उन्होंने कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है. ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए आंतरिक लोकपाल योजना को और बेहतर बनाया जाएगा. रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए बुलेट भुगतान योजना के तहत गोल्ड लोन को दोगुना कर चार लाख रुपये करने का फैसला किया. भुगतान अवसंरचना विकास कोष योजना को दिसंबर, 2025 तक दो साल के लिए बढ़ाया गया.

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