गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के बारे में आए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के क्लेरिफिकेशन (स्पष्टीकरण) से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के फंसे हुए कर्जे एक-तिहाई तक बढ़ सकते हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings and Research) ने शुक्रवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में यह आशंका जताई है. उसका कहना है कि एनपीए (Non-Performing Assets) पर आरबीआई के हाल में आए स्पष्टीकरण से एनबीएफसी के फंसे कर्ज (NPA) में करीब एक-तिहाई की बढ़ोतरी हो सकती है.

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आरबीआई का क्लेरिफिकेशन

खबर के मुताबिक, आरबीआई ने पिछले महीने बैंकों, एनबीएफसी और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के लिए आय पहचान परिसंपत्ति वर्गीकरण और प्रावधान (IRAC) के मानकों पर स्थिति साफ की थी. इस स्पष्टीकरण (New clarification of RBI for nbfc) में केंद्रीय बैंक ने कहा था कि विशेष उल्लेख खाता (SMA) और एनपीए (NPA) का वर्गीकरण दैनिक स्थिति के आधार पर किया जाए और सभी लंबित बकाए का भुगतान करने के बाद ही एनपीए को मानक कैटेगरी में डाला जा सकता है.

एनपीए की पुष्टि की दर हो सकती है तेज

हालांकि इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि एनपीए (NPA) के लिए वित्तीय प्रावधान करने का मध्यम असर पड़ सकता है. इसके बावजूद यह आईआरएसी जरूरतों से कहीं ज्यादा परंपरागत व्यवस्था है. रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई (reserve bank of india) का सर्कुलर अकाउंट्स की दैनिक पुष्टि की भी बात करता है ताकि यह पता चल सके कि कोई कर्ज कितने दिनों तक बकाया रहा है. रेटिंग एजेंसी का कहना है कि इस व्यवस्था से भी खातों के लिए एनपीए की पुष्टि की दर तेज हो सकती है.

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कुछ दिनों की भी देरी पर भी एनपीए में हो सकता है लिस्ट

एनबीएफसी (NBFC) से कर्ज लेने वाले अमूमन अपनी लंबित देनदारी का भुगतान कुछ दिनों की देरी से करते हैं. लेकिन नई व्यवस्था में कुछ दिनों की भी देरी होने पर उनका खाता एनपीए के रूप में लिस्टेड किया जा सकता है. इंडिया रेटिंग्स का मानना है कि ऐसा होने पर एनबीएफसी के एनपीए आंकड़े बढ़ जाएंगे. बीते कुछ समय से बैंकिंग सेक्टर में एनपीए बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि इसमें तेजी से सुधार भी देखने को मिल रहे हैं. इसका पता दूसरी तिमाही में बैंकों के अच्छे नतीजों से चलता है.