भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से IDBI Bank में अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए प्रस्ताव मांगा है. एलआईसी ने हाल में आईडीबीआई बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था. बीमा नियामक के दिशानिर्देशों के अनुसार कोई भी बीमा कंपनी किसी सूचीबद्ध इकाई में 15 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी नहीं रख सकती. नियामक की ओर से विशेष व्यवस्था के तहत एलआईसी के पास कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में इस सीमा से अधिक की हिस्सेदारी है. इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक किसी निजी क्षेत्र के बैंक में प्रवर्तक की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक रखने की अनुमति देता है.

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बीमा नियामक तय करेगा हिस्‍सेदारी घटाने की समयसीमा

IRDAI के चेयरमैन सुभाष चंद्र खूंटिया ने यहां फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर अलग से बातचीत में कहा कि हम एलआईसी द्वारा आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी घटाने की समयसीमा तय करेंगे. हम यह उन पर नहीं छोड़ रहे हैं. मैंने एलआईसी से इस बारे में प्रस्ताव देने को कहा है. उसके बाद हम इस पर फैसला करेंगे.

पिछले साल जून में नियामक ने बैंक कह हिस्‍सेदारी खरीदने की दी थी अनुमति

पिछले साल जून में बीमा नियामक ने एलआईसी को कर्ज के बोझ से दबे आईडीबीआई बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी थी. एलआईसी ने इस अधिग्रहण के तहत 28 दिसंबर को आईडीबीआई बैंक में 14,500 करोड़ रुपये डाले थे. उसके बाद 21 जनवरी को उसने बैंक में 5,030 करोड़ रुपये और डाले.

दिसंबर 2018 की तिमाही में आईडीबीआई बैंक को हुआ 4185 करोड़ रुपये का घाटा

दिसंबर, 2018 को समाप्त तीसरी तिमाही में आईडीबीआई बैंक का घाटा तीन गुना होकर 4,185.48 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक को 1,524.31 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. तिमाही के दौरान बैंक की कुल आय घटकर 6,190.94 करोड़ रुपये पर आ गई, जो इससे एक साल पहले समान तिमाही में 7,125.20 करोड़ रुपये थी.