दिल्ली हाईकोर्ट ने मोबाइल पेमेंट वॉलेट गूगल पे (Google Pay) के बिना RBI (रिजर्व बैंक) की मंजूरी के भारत में परिचालन करने पर केंद्रीय बैंक और कंपनी से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि जब उसके पास RBI की मंजूरी नहीं है तो वह कैसे भारत में पेमेंट वॉलेट की तरह ऑपरेट कर रहा है. इस मामले में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर हुई है. याचिका में दावा है कि गूगल पे एप बिना आधिकारिक मंजूरी के काम कर रहा है.

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क्‍या है गूगल पे

Google ने भारत में पहले तेज नाम से पेमेंट एप शुरू किया था. जिसका नाम बाद में बदलकर 'गूगल पे' कर दिया गया. इस एप से यूजर अपने बैंक अकाउंट को लिंक कर UPI के जरिए पेमेंट कर सकते हैं. गूगल ने एप को लोकप्रिय बनाने के लिए कई ऑफर भी शुरू किए थे. इनमें से 1 ऑफर बीते साल आया था जिसमें कंपनी ने कहा था कि अगर यूजर उसके एप से भुगतान करते हैं तो वे 1 लाख रुपये का इनाम जीत सकते हैं. 

नियमों के उल्‍लंघन का आरोप

दिल्‍ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति एजे भामभानी की पीठ ने PIL पर सुनवाई करते हुए RBI से कई सवाल किए. PIL में कहा गया है कि गूगल पे रिजर्व बैंक के पेमेंट नियमों का उल्लंघन कर रहा है. वह अवैध रूप से भारत में इसका इस्तेमाल कर रहा है. गूगल पे को RBI से पेमेंट का कोई वैध प्रमाण पत्र नहीं मिला है. 

क्‍या है मामला

समाचार एजेंसी PTI की खबर के मुताबिक कोर्ट ने आरबीआई व गूगल इंडिया को नोटिस दिया है. 20 मार्च 2019 को RBI ने अधिकृत 'भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों' की सूची जारी की थी, इसमें गूगल पे का नाम नहीं है. इस लिस्ट के सामने आने के बाद कंपनी के खिलाफ PIL डाली गई.

फ्रांस लगाएगा डिजिटल कर

एक दिन पहले खबर आई थी कि फ्रांस (France) ने एक नए कर (Tax) को मंजूरी दी, जिसके तहत एप्‍पल (Apple), फेसबुक (Facebook), गूगल (Google) जैसी कंपनियों पर डिजिटल कर लगाया जाएगा. इस पर अमेरिका ने कड़ी आपत्ति जताई थी. लेकिन फ्रांस ने कहा था कि उसे इस तरह का कदम उठाने पर गर्व महसूस हो रहा है. अमेरिका ने इसके बाद भी फ्रांस से इसे टालने का आग्रह किया था. फ्रांस में इस कानून को "GAFA" (गूगल, अमेजन, फेसबुक और एपल) नाम दिया गया है.