FM Sitharaman in Rajya Sabha on dormant banks accounts: हमारे देश में अक्सर कुछ रुपयों के लिए बड़े-बड़े अपराधों की घटना आए दिन सुनने या पढ़ने को मिलते रहते हैं. लेकिन भारत के ही बैंकों के कुछ अकाउंट में करोड़ों रुपये पड़े हुए हैं जिसका कोई मालिक नहीं है. इन रुपयों की रकम एक-दो लाख नहीं बल्कि 26 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है. लेकिन इसे निकालने के लिए (Unclaimed Deposits) पिछले कई सालों से कोई नहीं आया.ऐसे बैंक अकाउंटों की संख्या लगभग 9 करोड़ है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को कहा कि देश के बैकों में निष्क्रिय पड़े खातों में 26,697 करोड़ रुपये हैं. राज्यसभा (Rajya Sabha) में बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि 31 दिसंबर 2020 तक देश के बैंकों जिनमें सहकारी बैंक भी शामिल हैं, में 26,697 करोड़ रुपये पड़े हैं. इन सभी बैंक अकाउंट से लंबे समय से किसी भी तरह का लेनदेन नहीं हो रहा है. इन अकाउंट्स में  9 करोड़ की तादाद ऐसी है जो पिछले 10 साल से ऑपरेट नहीं हो रहे हैं. 

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निर्मला सीतारमण ने बैंकों को दी ये सलाह

 निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि इस मामले को लेकर बैंकों से बात की गई है. बैंकों को ये कहा गया है कि वह उन ग्राहकों को पहचानने और संपर्क करने के लिए एक अभियान चलाएं. इस अभियान के तहत जो खाता पिछले 2 साल से बिल्र्कुल ही बंद पड़ा हो मतलब जिससे लेन-देन या किसी तरह का काम नहीं हो रहा हो उनकी पूरी जानकारी हासिल करना होगा.  बैंकों को दावा न किए गए जमा/निष्क्रिय खातों की सूची जो दस साल या उससे अधिक के लिए निष्क्रिय हैं, उनकी संबंधित वेबसाइटों पर सूची के साथ खाताधारकों के नाम और पते वाली लिस्ट प्रदर्शित करना जरूरी होगा. 

जानिए कहां जाते हैं बिना क्लेम वाले पैसे

बता दें कि इस तरह के खातों के लिए रिजर्व बैंक एक मास्टर सर्कुलर जारी करता है जिसे ‘कस्टमर सर्विस इन बैंक्स’ के अंतर्गत रखा जाता है. बैंकों में दस साल तक यूं पड़ा हुआ जमा आरबीआई को दे दिया जाता है. आरबीआई इसे अपनी स्कीम डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में जमा करती है, जिसका मुख्य काम जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने और ऐसे अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करना होता है.