Electric Vehicles loan: भारत में बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के पास इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) के लिए साल 2025 तक 40,000 करोड़ रुपये का लोन देने की क्षमता है. वहीं साल 2030 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उनका लोन 3.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट इंडिया (NITI Aayog and Rocky Mountain Institute India) ने शुक्रवार को एक ज्वाइंट रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है.

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2030 तक 3.7 लाख करोड़ रुपये तक का लोन दे सकते हैं बैंक

खबर के मुताबिक, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैंकिंग’ शीर्षक की रिपोर्ट में देश में बिजलीचालित परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र में खुदरा लोन के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र की पहचान के महत्व को रेखांकित किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि बैंकों और गैर बैंकिंग-वित्तीय कंपनियों में क्षमता है कि वे 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 40,000 करोड़ रुपये और 2030 तक 3.7 लाख करोड़ रुपये तक का लोन दे सकते हैं. इसमें कहा गया कि हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए खुदरा वित्तपोषण उतनी रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है.

ईवी के लिए वित्तीय संस्थान अहम 

रिपोर्ट कहती है कि बैंकों और एनबीएफसी (NBFCs) की तरफ से इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद (Electric Vehicles loan) के लिए प्रदान किए जाने वाले लोन को रिजर्व बैंक की प्राथमिकता हासिल क्षेत्रों को लोन (पीएसएल) के गाइडलाइंस में शामिल किया जाना चाहिए. इस रिपोर्ट के बारे में नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ाने में वित्तीय संस्थान अहम भूमिका निभा सकते हैं.

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