कैबिनेट ने बुधवार को देना और विजया बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दे दी है. सरकार के इस रुख के विरोध में बैंक कर्मी बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी कर रह हैं. ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वैंकटचलम ने इस मौके पर कहा कि सरकार का रुख बैंकों व देश के आम लोगों के विरुद्ध है. उन्होंने बताया कि दस दिनों के अंदर बैंकिंग संगठनों की बैठक बुला कर सरकार के इस रुख का विरोध केसे किया जाए इस पर रणनीति तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि चुनावों के दौरान बैंक कर्मी आम लोगों को बताएंगे कि सरकार के इस जनविरोधी निर्णय से आम लोगों व देश के बैंकिंग सिस्टम पर किस तरह से विपरीत असर पड़ेगा.

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कैबिनेट ने दी विलीय को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को सरकारी बैंकों - देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) के विलय को मंजूरी दे दी गई. इस विलय से बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक और 'वैश्विक प्रतिस्पर्धी निकाय' बन जाएगा.सरकार के अनुसार इस विलय से कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी, क्योंकि देना और विजया बैंक के कर्मचारियों को बैंक ऑफ बड़ौदा में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. वित्त मंत्रालय की वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक तथा देना बैंक के प्रस्तावित विलय को सैद्धांतिक मंजूरी देने के बाद अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी इस प्रस्‍ताव को हरी झंडी दे दी है. प्रस्तावित विलय के अंतर्गत बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय होगा.

विश्व स्तर का बैंक बनाने के लिए किया गया विलय

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली वैकल्पिक व्यवस्था ने वैश्विक आकार के बैंक बनाने के इरादे से तीनों बैंकों के विलय का निर्णय किया था. वित्त मंत्रालय के निर्णय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के निदेशक मंडल ने 29 सितंबर को तीनों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित विलय को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी. अन्य दोनों बैंकों के निदेशक मंडल ने भी विलय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

अगले वित्‍त वर्ष से काम करने लगेगा नया बैंक

बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक तथा देना बैंक के विलय के बाद बनने वाला नया बैंक अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से काम करना शुरू कर देगा. विलय के बाद अस्तित्व में आने वाले बैंक का कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपए का होगा और वह एसबीआई तथा आईसीआईसीआई बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. बैंक ऑफ बड़ौदा ने बुधवार को विजया बैंक और देना बैंक का खुद के साथ विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली अनुपात को अंतिम रूप दे दिया है. विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे. वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे. सरकार ने पिछले साल सितंबर में विजय बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ विलय की घोषणा की थी.

 बैंक कर्मियों के संगठन क्यों कर रहे हैं विरोध

बैंक कर्मियों के संगठनों का कहना है कि भारत में आम लोगों तक बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के लिए और शाखाएं खोले जाने की आवश्यकता है. लकिन सरकार बैंकों के विलय पर जोर दे रही है. उन्होंने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक में बैंकों का विलय होने के चलते देश भर में लगभग 6500 बैंक शाखाएं बंद हो गई. इससे आम लोगों की मुश्किल बढ़ी. वहीं बैंक में होने वाली भर्ती में भी कमी आई है. ऐसे में रोजगार भी घटा है. सरकार बैंकों का विलय कर जहां देश में बड़े बैंक बनाने की योजना पर काम कर रही है वहीं बैंक कर्मियों के अनुसार यह सरकार का गलत कदम है और इससे बैंकों में घाटा बढ़ेगा ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन के महासचिव सीएच वैंकटचलम के अनुसार बड़े बैंकों के पूंजी अधिक होगी और वो बड़े लोन देंगे. बड़े लोन में जोखिम भी अधिक होगा. एसबीआई में बैंकों के विलय के बाद बैंक का एनपीए बढ़ा है. ऐसे में भारत में बैंकों का विलय न तो बैंकों के हित में है और न आम लोगों के.

विलय के विरोध में कर्मियों ने की थी हड़ताल

बैंक कर्मियों की ओर से इन तीनों बैकों के विलय के विरोध में 26 दिसम्बर को एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल भी की गई थी. इस हड़ताल में सभी सरकारी बैंकों के साथ 12 निजी बैंकों ने भी हिस्सा लिया था.