केंद्रीय रिजर्व बैंक ने इस हफ्ते एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसपर अब बैंक कर्मचारी संगठनों की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं. आरबीआई ने बैड लोन या NPA की वसूली आसान हो सके, इसके लिए एक नए नियम को मंजूरी दी है. केंद्रीय बैंक ने अपनी इस अधिसूचना में कहा है कि इरादतन चूक करने वाले यानी विलफुल डिफॉल्टर्स और बैंक धोखाधड़ी के मामलों में बैंकों के साथ समझौता किया जा सकेगा, ताकि बैंक को उसका फंसा हुआ पैसा मिल सके. 

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लेकिन बैंक अधिकारी एवं कर्मचारी संगठनों ने दबाव वाली संपत्तियों से अधिकतम वसूली के लिए बैंकों को धोखाधड़ी वाले खातों और इरादतन या जानबूझकर चूक के मामलों का निपटारा समझौते के जरिये करने की मंजूरी देने का विरोध किया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को एक अधिसूचना में धोखाधड़ी वाले खातों और कर्ज अदायगी में इरादतन चूक के मामलों में समझौता करने की मंजूरी देते हुए कहा था कि इसके लिए निदेशक-मंडल के स्तर पर नीतियां बनानी होंगी. 

"डिफॉल्टर्स से निपटने में होगी दिक्कत"

बैंक कर्मचारी और अधिकारी संगठनों ने मंगलवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि रिजर्व बैंक की हालिया समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डालने की रूपरेखा पीछे की ओर ले जाने वाला एक कदम है. इससे बैंकिंग प्रणाली की सत्यनिष्ठा प्रभावित होगी और साथ ही जानबूझकर चूक करने वालों से निपटने के प्रयासों को भी झटका लगेगा. 

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) और ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) ने बयान में कहा, ‘‘बैंकिंग उद्योग के महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में हमने हमेशा इरादतन चूककर्ताओं से सख्ती से निपटने की वकालत की है.’’ बयान के मुताबिक, रिजर्व बैंक की नई व्यवस्था से न केवल इरादतन चूककर्ता को एक तरह से इनाम दिया जा रहा है बल्कि ईमानदार कर्जदारों के बीच गलत संदेश भी जा रहा है. 

आरबीआई ने सेटलमेंट की आजादी के साथ रखी हैं कुछ शर्तें

उल्लेखनीय है कि इस नियम के तहत कुछ जरूरी शर्तें भी निर्धारित की गई हैं. इन शर्तों में कर्ज की न्यूनतम समयसीमा, जमानत पर रखी गई संपत्ति के मूल्य में आई गिरावट जैसे पहलू भी शामिल होंगे. बैंकों का निदेशक-मंडल इस तरह के कर्जों में अपने कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए भी एक प्रारूप तय करेगा. अधिसूचना के मुताबिक, रिजर्व बैंक से विनियमित वित्तीय इकाइयां इरादतन चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में ऐसे देनदारों के खिलाफ जारी आपराधिक कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर समझौता समाधान या तकनीकी बट्टे-खाते में डाल सकती हैं.

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