Bank deposit insurance programme: देश में कई प्राइवेट बैंक हैं. इन बैंकों में ग्राहक निश्चित होकर और भरोसा करके अपना पैसा जमा कर देते हैं. लेकिन उन्हें ये नहीं पता अगर वो बैंक डूब जाता है, तो उस पैसे का आखिरकार होता क्या है. घबराइए नहीं...इसके लिए सरकार ने इसी साल (2021) अगस्त में कुछ जरूरी बदलाव किए थे. इन बदलावों के तहत अगर किसी बैंक में से निकासी पर RBI प्रतिबंध लगाता है तो ऐसी स्थिति में ग्राहकों को 90 दिनों के अंदर 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्राप्त करने का हक दिया गया है. आइए जानते हैं कैसे आप अपना पैसा सुरक्षित पा सकते हैं. 

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दरअसल रविवार को पीएम मोदी (Narendera Modi) ने कहा था कि, 1 लाख से ज्यादा डिपॉजिटर्स को 1,300 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. ये पैसा उन्हें दिया गया है जो अपने पैसे का इस्तेमाल नहीं कर सके, क्योंकि उनके बैंकों को फाइनेंशियल क्राइसिस का सामना करना पड़ा था. ऐसे ही 3 लाख और डिपॉजिटर्स को उनके अकाउंट्स में फंसे पैसे दिलाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. पीएम ने कहा कि डिपॉजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) एक्ट के तहत 76 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि का इंश्योरेंस किया गया था, जोकि लगभग 98 परसेंट बैंक अकाउंट को फुल कवरेज देता है.

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केंद्र ने अगस्त में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट (Credit Guarantee Corporation Act) में एक संशोधन पारित किया था. इस संशोधन इसलिए था ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मोरेटोरियम के तहत आने वाले बैंक के होल्डर्स को 90 दिनों के अंदर अपनी इंश्योर्ड जमा राशि प्राप्त हो सके.

डिपॉजिट इंश्योरेंस पर क्या बोले पीएम मोदी?

पीएम मोदी ने कहा कि, 'कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके ही उन्हें विकराल होने से बचा सकता है. पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी, फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था. उन्होंने कहा, 'गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख रुपए कर दिया.'

प्रधानमंत्री ने अकाउंटहोल्डर्स को इंश्योर्ड अमाउंट का चेक सौंपने के दौरान कहा था, 'आज का दिन देश के लिए, बैंकिंग सेक्टर और बैंक अकाउंट होल्डर्स के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है.'

 

डिपॉजिट इंश्योरेंस कानून से क्या हुए बदलाव?

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक ऐसे बैंक हैं, जिसमें डिपॉजिटर्स के लिए बैंकों में जमा अपने ही पैसे को इस्तेमाल करने में परेशानी हुई. इसके बाद सरकार ने इसी साल अगस्त में कुछ जरूरी बदलाव किए. इन बदलावों के तहत अगर किसी बैंक में से पैसे निकालने पर RBI रोक लगाता है तो ऐसी स्थिति में ग्राहकों को 90 दिनों के अंदर 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्राप्त करने का हक दिया गया.

फाइनेंस मिनिस्टर के मुताबिक, डिपॉजिटर्स को आमतौर पर अपना ही पूरा पैसा पाने के लिए 8-10 साल तक इंतजार करना पड़ता था. अब कानून में बदलाव के साथ, संकट में फंसे बैंकों को इवेंचुअल लिक्विडेशन का इंतजार किए बिना डिपॉजिटर 90 दिनों के अंदर अपनी इंश्योर्ड अमाउंट पा सकते हैं.