बैंक अपनी हर सेवा के लिए ग्राहकों से शुल्क वसूलते हैं. सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने से लेकर बैंक अकाउंट को बंद कराने तक के लिए बैंक आपके खाते से चार्ज काट लेते हैं. बैंक के नियम व शर्तों में बेशक ये चीजें होती है, लेकिन खाता खुलवाने के समय अमूमन यह जानकारियां ग्राहकों को नहीं दी जाती हैं. हम आपको ऐसे ही कुछ चार्जेज के बारे में बता रहे हैं, जिन्‍हें बैंक आपसे वसूलते तो हैं, लेकिन उनकी जानकारी आमतौर पर ग्राहकों को देते नहीं हैं.

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1. अकाउंट बंद कराने का भी लगता है चार्ज

अगर आपने कई बैंक अकाउंट खुलवा रखे हैं और अब कुछ अकाउंट बंद करना चाहते हैं, तो ध्यान रहे कि इसमें भी पैसे खर्च होते हैं. अगर आपको अकाउंट खुलवाए छह माह भी नहीं हुए हैं, तो ज्यादातर बैंक इसे बंद करने की एवज में 50 से 200 रुपए तक का चार्ज वसूलते हैं. अगर आपके अकाउंट से पिछले छह माह से किसी भी तरह का ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है, तो इसके लिए भी आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है. इसमें सरकारी और निजी बैंकों के अलग-अलग नियम हैं.

2. 12 बार ब्रांच जाने पर लगता है चार्ज

अगर आप मानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन और एटीएम इस्तेमाल करने के बजाए बैंक जाकर ट्रांजेक्शन करना आसान है और उसका कोई चार्ज आपसे नहीं वसूला जाता है, तो ये आपकी गलतफहमी है. अगर, आपने एक तिमाही के दौरान अपनी ब्रांच से 12 से ज्यादा बार लेनदेन किया है, तो आपके अकाउंट से 50 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन के हिसाब से रकम काट ली जाती है. यह चार्ज ज्यादातर प्राइवेट बैंक ही वसूलते हैं. आप इसे भले ही बैंकों की मनमानी कहें, लेकिन बैंक के पास यह चार्ज वसूलने का अपना तर्क है.

3. दूसरी ब्रांच में जाने का भी लगता है पैसा

आपका अकाउंट जिस ब्रांच में है, उससे अलग किसी और ब्रांच में जाकर आप ट्रांजेक्शन करते हैं, तो इसके लिए भी पैसे चुकाने होंगे. प्राइवेट बैंक पहली बार ऐसे ट्रांजेक्शन का चार्ज नहीं लेते हैं लेकिन, इसके बाद हर ट्रांजेक्शन पर प्रति हजार पांच रुपए चार्ज वसूला जाता है.

4. एक महीने में दूसरी बार कैश विदड्रॉल पर लगता है चार्ज

नॉन बेस ब्रांच से एक महीने में दूसरी बार कैश विदड्रॉल का भी चार्ज उपभोक्ता को ही चुकाना होगा. इसके हर बैंक के अलग-अलग चार्ज हैं. हालांकि, प्राइवेट बैंक इसके लिए 150 रुपए तक चार्ज वसूलते हैं.

5. एक महीने में दूसरी बार कैश डिपॉजिट करने पर भी है चार्ज

नॉन बेस ब्रांच में एक महीने में दूसरी बार कैश डिपॉजिट करने पर भी बैंक आपकी जेब से फीस वसूलता है. इसके लिए भी अलग-अलग बैंक ने अलग फीस तय की हुई है. इसके लिए आईसीआईसीआई बैंक 150 रुपए तक चार्ज करता है.

6. मंथली स्टेटमेंट चार्ज

आपकी जेब से चार्ज वसूलने वाली लिस्ट में बैंक स्टेटमेंट भी है. यदि आप चाहते हैं कि हर महीने आपके घर बैंक स्टेटमेंट भेजा जाए, तो इसके लिए भी बैंक को चार्ज देना पड़ेगा. हर बैंक अपने मुताबिक इसकी कीमत तय करता है. ज्यादातर  बैंकों में यह कीमत 200 रुपए तक है. हालांकि, ईमेल से स्टेटमेंट मंगवाने पर कोई चार्ज नहीं लगता. रिजर्व बैंक के निर्देश के मुताबिक, बैंकों को हर 3 महीने पर ग्राहकों को स्टेटमेंट भेजना होता है, जिसके लिए बैंक कोई फीस नहीं वसूल सकते हैं.

 

7. चेक का स्टेटस जानने का भी लगता है पैसा

अगर आप अपने चेक का स्टेटस जानना चाहते हैं, तो कई निजी बैंक इसके लिए भी आपकी ही जेब से चार्ज वसूलते हैं. इस सर्विस के लिए बैंक 25 रुपए तक वसूलते हैं. आमतौर पर यह फीस रनिंग चेक का स्टेटस जानने पर नहीं देनी होती है लेकिन यदि आप किसी पुराने चेक का स्टेटस पता करते हैं, तब आपको यह फीस देनी होती है.

8. एड्रेस कन्फर्मेशन का भी लगता है चार्ज

सरकारी बैंकों से उलट, निजी बैंक किसी तरह का डॉक्युमेंट- बैलेंस सर्टिफिकेट, इंटरेस्ट सर्टिफिकेट, एड्रेस कन्फर्मेशन, अटेस्टेड सिग्नेचर, अटेस्टेड फोटो आदि के बदले 50 से 200 रुपए तक वसूलते हैं. बैंकों के पास इसका भी तर्क है. बैंक के मुताबिक इन सभी पर लगने वाले चार्जेज सही हैं. यदि ये ही सर्टिफिकेट लेने आप वकील के पास जाएं तो वो भी इसकी फीस वसूलते हैं.