जेट एयरवेज दोबारा रनवे पर नजर आएगी. फिर से उड़ानें शुरू होंगी. जेट एयरवेज के कर्मचारियों को भी वापस यूनिफॉर्म में लौटने का मौका मिलेगा. यह सबकुछ संभव है, क्योंकि कंपनी को बचाने के लिए उनका 'संकटमोचन' सामने आया है. यह कोई और नहीं बल्कि कंपनी के पूर्व चेयरमैन और फाउंडर नरेश गोयल हैं. जेट एयरवेज की डूबती नैया को पार लगाने के लिए नरेश गोयल ने एयरलाइन को इमरजेंसी फंड दे दिया है. इसके साथ ही नरेश गोयल ने जेट के कर्मचारियों को भी एक इमोशनल लेटर भी लिखा है. लेटर में उन्होंने उम्मीद जताई है कि जेट एयरवेज एक बार फिर से उड़ सकेगी. 

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250 करोड़ का इमरजेंसी फंड

नरेश गोयल ने नकदी संकट से जूझ रही एयरलाइन को इमरजेंसी फंड दिया है. फंड न होने की वजह से एयरलाइन का कामकाज पूरी तरह ठप था. नरेश गोयल ने एयरलाइन कंपनी को 250 करोड़ रुपए दिए हैं. नरेश गोयल ने अपने लेटर में लिखा है कि एयरलाइन को बचाए रखने के लिए उन्होंने हर संभव बलिदान दिया है. गोयल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बैंक के नेतृत्व रेजोल्यूशन प्लान सफल होगा और 10 मई तक निश्चित ही कोई खरीदारी सामने आएगा.

गोयल के लेटर में क्या लिखा है 

नरेश गोयल ने जो लेटर लिखा है उसमें उन्होंने कहा है कि 'नीता और मैं उत्सुकता से उम्मीद कर रहे हैं कि 10 मई को सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. आपकी तरह यह हमारी भी इच्छा है कि पिछले कई हफ्तों के छाए काले बादलों को चीरते हुए दोबारा एक चमकता हुआ सूरज को देख सकें. गोयल का यह लेटर सभी एयरलाइन स्टाफ को उनके बेटे नीवान गोयल ने भेजा है. 

कर्मचारियों के लिए दुखी हैं गोयल

जेट एयरवेज के फाउंडर के लेटर में कहा गया है कि उन्होंने ग्रुप कंपनी की ओर से बैंकों को 250 करोड़ रुपए दिए हैं. साथ ही एयरलाइन को बचाने के लिए उन्होंने अपनी हिस्सेदारी को भी बैंकों के पास रखा है. उन्होंने आगे लिखा कि कर्मचारियों ने जो बलिदान दिया है वह बहुत महान और बड़ा है. उन्हें बहुत दुख होता है कि कर्मचारियों को पिछले कुछ महीनों से उनकी सैलरी नहीं मिली है. 

अतीत को किया याद

अतीत की याद करते हुए, गोयल ने कहा "पिछले 25 सालों से हर साल, 5 मई का दिन हम सबके  लिए दिल में एक विशेष स्थान रखता है." "लेकिन हमारी 26वीं वर्षगांठ इन सभी दिनों में सबसे दुखद दिन था, जिसमें कोई भी उड़ान नहीं थी. यह अजब और दुखद संयोग है कि 18 अप्रैल 1993 को हमने मुंबई में अपना पहला विमान प्राप्त किया था, वहीं 18 अप्रैल 2019 की सुबह अमृतसर से मुंबई हमारी अंतिम उड़ान संचालित की गई.”

इमरजेंसी फंड का था इंतजार

एयरलाइन पिछले कई महीनों से बैंकों से इमरजेंसी फंड मांग रही थी. लेकिन, कोई भी बैंक जेट एयरवेज को फंड देने के लिए तैयार नहीं था. अपनी बनाई कंपनी को बचाने और फंड मुहैया कराने के लिए आखिरकार नरेश गोयल को ही सामने आना पड़ा. बता दें, एयरलाइन के कर्जदारों में शामिल बैंकों के कंसोर्शियम इस वक्त एयरलाइन को बेचने की प्रक्रिया में है. इसके जरिए वह अपना 8400 करोड़ रुपए का कर्ज वसूलना चाहते हैं.

खरीदारों की रेस में कौन?

फिलहाल जेट एयरवेज को खरीदने की रेस में प्राइवेट इक्विटी फर्म TPG कैपिटल, इंडिगो पार्टनर्स, नेशनल इन्वेस्टमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) और एतिहाद एयरवेज शामिल हैं. इन सभी ने बोली लगाने के लिए दिलचस्पी दिखाई थी. सूत्रों के मुताबिक, अभी इन सभी को नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट साइन करना है.