IndiGo Airlines: इंडिगो ने बुधवार को कहा कि सिविल एविएशन सेक्टर को अपने रेवेन्यू का 21 फीसदी अप्रत्यक्ष करों (Indirect taxes) के रूप में देना पड़ता है. इसके चलते विमानन क्षेत्र लंबे समय से बीमार है.

इंडिगों ने की एक्साइज टैक्स घटाने की मांग

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इंडिगो के सीईओ रोनोजॉय दत्ता (Ronojoy Dutta) ने वित्त मंत्रालय (Finance ministry) से ईंधन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (central excise taxes) को 11 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने विमान की मरम्मत के पुर्जों पर सीमा शुल्क (custom duties) को समाप्त करने का अनुरोधि किया है.

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देश के विकास में जरूरी सिविल एविएशन

इंडिगो के सीईओ ने कहा कि सिविल एविएशन हमारे देश को एक कुशल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करता है, जो हमारे देश में आर्थिक विकास और रोजगार के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.

दत्ता ने कहा, "इसके बावजूद सिविल एविएशन सरकार को अपने रेवेन्यू का 21 फीसदी हिस्सा अप्रत्यक्ष करों के रूप में देता है, जिसका बहुत कम हिस्सा इनपुट क्रेडिट होता है."

लंबे समय से बीमार है इंडस्ट्री

भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन के सीईओ ने कहा कि यह उम्मीद करना अनुचित है कि इंडस्ट्री सिर्फ सरकार को टैक्स देने के लिए 21 फीसदी का मार्जिन लेकर चले. जिसके चलते सिविल एविएशन क्षेत्र लंबे समय से बीमार है और कॉमर्स और रोजगार को बढ़ावा देने के अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है.

चालू वित्त वर्ष में इतने नुकसान की संभावना

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 17 जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि COVID-19 महामारी की तीसरी लहर और ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण 2021-22 में भारतीय वाहक को लगभग 20,000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान होने की संभावना है. दत्ता ने लंबे समय से चली आ रही समस्या के समाधान के लिए वित्त मंत्रालय से तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया.