देश की इकलौती सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही है. कंपनी के ऊपर करीब 58 हजार करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. सरकार भी इस एयरलाइंन को बेचने की कोशिश कर रही है. कई बार बोली लगाने में असफल रही सरकार एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिये अगले महीने प्रारंभिक बोलियां मंगाने की योजना बना रही है. कुछ निकाय पहले ही एयर इंडिया में दिलचस्पी दिखा चुके हैं. 

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सरकार एक बार फिर एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने के लिए अगले महिने बोलियां मंगाने जा रही है. बोली मंगाने के दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस महीने के अंत में या अगले महीने बोलियां मंगायी जा सकती हैं. इसकी निविदा हाल ही में विकसित ई-निविदा प्रणाली से की जाएगी. इस बारे में निदेशक मंडल की बैठक 22 अक्टूबर का होने वाली है.

एयरलाइन की बैलेंसशीट स्वच्छ करने के लिए करीब 30,000 करोड़ रुपये का कर्ज बांड जारी करके किया जाना है. ये बांड एयरलाइन की विशेष उद्येशीय कंपनी एयर इंडिया एसेट होल्डिंग कंपनी (एआईएएचएल) की ओर से जारी किए जा सकते हैं.

पिछले साल सरकार ने एयरलाइन को लेकर दोबारा कोशिशें की और इसके तहत व्यापक वित्तीय पैकेज और नॉन-कोर रियल एस्टेट परिसंपत्तियों की बिक्री को शामिल किया गया था. इतने काम को अंजाम देने के बाद से एयरलाइन की वित्तीय स्थिति और परिचालन में सुधार हुआ है. सरकार द्वारा एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश किए जाने के बाद योजना शुरू की गई. हालांकि सरकारी क्षेत्र की विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया किसी बोलीदाता को आकर्षित करने में विफल रही.