Sale of Pawan Hans: सरकार ने हेलीकॉप्टर सर्विस का संचालन करने वाली पवन हंस लिमिटेड के बिक्री सौदे को फिलहाल रोक दिया है. इसके लिए निर्णायक बोली लगाने वाले कंर्सोटियम में शामिल अल्मस ग्लोबल के खिलाफ जारी NCLT के आदेश को देखते हुए यह फैसला किया गया है.

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेश की कानूनी समीक्षा की जा रही है. अधिकारी ने कहा, ‘‘हम आगे बढ़ने से पहले एनसीएलटी के आदेश का कानूनी परीक्षण कर रहे हैं. सौदा पूरा होने का पत्र जारी नहीं किया गया है.’’ 

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कंपनी पर हैं ये आरोप

पवन हंस के लिए चलाई गई टेंडर प्रक्रिया में पिछले महीने मैसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को सफल बोलीकर्ता चुना गया था. इस गठजोड़ में मैसर्स बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और अल्मस ग्लोबल ऑपर्चुनिटी फंड शामिल हैं. स्टार9 मोबिलिटी ने पवन हंस की खरीद के लिए 211.14 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी जो 199.92 करोड़ रुपये के रिजर्वड वैल्यू से थोड़ा ज्यादा है.

इस कंर्सोटियम में शामिल अल्मस ग्लोबल के खिलाफ एनसीएलटी ने पिछले महीने एक आदेश पारित किया था. कोलकाता स्थित इस कंपनी पर अपने ऋणदाताओं को स्वीकृत समाधान प्रस्ताव के तहत भुगतान नहीं करने का आरोप है. इसके बाद यह मामला एनसीएलटी के पास गया था.

पवन हंस में सरकार की 51 फीसदी हिस्सेदारी

यह दूसरा मौका है जब विनिवेश की प्रक्रिया अधर में लटक गई है. इसके पहले सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) का विनिवेश भी सफल बोलीकर्ता के खिलाफ आरोप लगने के बाद रुक गया था.  केंद्र सरकार के उपक्रम सीआईएल में शतप्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए दिल्ली की कंपनी नंदाल फाइनेंस एंड लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड ने सर्वाधिक 210 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. पवन हंस लिमिटेड में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी है जबकि 49 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक उपक्रम ओएनजीसी के पास है.

दिसंबर में सरकार को अपनी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए तीन बोलियां मिली थीं जिनमें सर्वाधिक बोली स्टार9 मोबिलिटी की पाई गई. दो दूसरी बोलियां 181.05 करोड़ रुपये और 153.15 करोड़ रुपये की थीं.