Pawan Hans disinvestment: भारी घाटे का सामना कर रहे सरकारी हेलीकॉप्टर कंपनी पवन हंस लिमिटेड (Pawan Hans Limited) में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार को कई वित्तीय बोलियां मिली हैं. इससे इस सार्वजनिक उपक्रम की विनिवेश प्रक्रिया अब आखिरी फेज में पहुंच गई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) में सचिव तुहीन कांत पांडे ने एक ट्वीट में कहा कि पवन हंस (Pawan Hans) के विनिवेश के लिए वित्तीय बोलियां लेन-देन सलाहकार को हासिल हो गई हैं. प्रक्रिया अब आखिरी चरण में पहुंच गई है. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि पवन हंस के लिए कितनी बोलियां प्राप्त हुई हैं.

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पूरी हिस्सेदारी बेच रही सरकार

खबर के मुताबिक, सरकार पवन हंस में अपनी 51 प्रतिशत की पूरी हिस्सेदारी बेच रही है. बाकी 49 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पास है और वह भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. पवन हंस (Pawan Hans) की स्थापना 1985 में की गई थी और इसके पास 40 से ज्यादा हेलीकॉप्टर का बेड़ा है.

पवन हंस में कर्मचारियों की संख्या

पवन हंस लिमिटेड में 900 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से आधे से भी कम कर्मचारी स्थायी हैं. यह कंपनी ओएनजीसी की अन्वेषण गतिविधियों के लिए और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं प्रदान करती है. कंपनी को 2019-20 में कुल 28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था और उसके एक साल पहले यह आंकड़ा 69 करोड़ रुपये था.

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साल 2018 में हिस्सेदारी बेचने की हुई थी पहल

सरकार ने पवन हंस (Pawan Hans) में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए साल 2018 में निविदाएं आमंत्रित की थीं. हालांकि जब ओएनजीसी ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया तो सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए. 2019 में कंपनी को बेचने का एक और प्रयास हुआ था लेकिन तब निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई.