कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Mahamari) में सरकार ने देशव्‍यापी Lockdown लगा दिया था. इसके बाद Train, हवाई जहाज और बस सभी तरह के पब्लिक ट्रांस्‍पोर्ट पर रोक लग गई थी. इससे जिन लोगों ने इस दौरान फ्लाइट या ट्रेन में टिकट बुक कराया था, उन्‍हें IRCTC से इसका रिफंड मिलना शुरू हो गया. लेकिन Airline ने रिफंड कैश में न देकर इसे यात्री के खाते में क्रेडिट करना शुरू कर दिया था. 

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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका आई, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय (DGCA) को एक नोटिस जारी किया है. याचिका में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय सभी उड़ानों के टिकट देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कैंसिल होने के कारण पूरी रकम वापस करने की मांग की गई है. 

जस्टिस एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई भी शामिल हैं. पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि Lockdown के बाद हवाई यात्रा के लिए बुक किए गए टिकटों के पैसे वापस न करना 'मनमानी' है. याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वह Airline द्वारा टिकटों की रकम को वापस न करने को गैरकानूनी घोषित करे. 

साथ ही इसे DGCA की शर्तों का उल्लंघन माने. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि कैंसिल टिकट से इकट्ठा रकम का पूरा रिफंड देने के बजाय, एयरलाइंस एक साल तक के लिए इसका क्रेडिट शेल (Credit shell) दे रही हैं.

याचिका में नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MCA) के 16 अप्रैल के आदेश का हवाला दिया गया है. इसमें सभी एयरलाइन ऑपरेटरों को आदेश दिया गया था कि वे 25 मार्च से 14 अप्रैल तक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा के लिए बुक की गईं सभी टिकटों की पूरी रकम वापस करें.

MCA आदेश में कहा गया है कि अगर कोई यात्री दूसरे लॉकडाउन अवधि (15 अप्रैल से 3 मई तक) के दौरान यात्रा के लिए पहले लॉकडाउन चरण के दौरान रिफंड की मांग करता तो भी एयरलाइन को बिना कोई कैंसिलेशनल चार्ज के पूरी रकम वापस करनी होगी.

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याचिका में कहा गया है कि आदेश में उन यात्रियों को छोड़ दिया गया है, जिन्होंने उड़ान पर प्रतिबंध लगाने से पहले टिकट बुक किया था और अप्रत्यक्ष रूप से लॉकडाउन से पहले प्रभावित होने वाली बुकिंग के लिए उन्हें क्रेडिट शेल देने की मंजूरी एयरलाइनों को दे दी गई है. हालांकि यह भी स्पष्ट रूप से DGCA के रिफंड नियमों का उल्लंघन है.

हालांकि, याचिकाकर्ता ने सरकार के उस आदेश का हवाला दिया है, जो उन टिकटों को वापस करने का आदेश देता है, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान बुक किया गया था और पाबंदी से पहले टिकट बुक करने वाले यात्रियों को छोड़ दिया गया है.