अंतरराष्ट्रीय हवाई यातायात संघ (आईएटीए) के प्रमुख एलेक्जेंडर डी. जुनियाक ने कहा हवाई टिकटों की कीमतों में प्रतिस्पर्धा मांग को बढ़ाने में मददगार है लेकिन इस तरह के मूल्य निर्धारण नीति से विमानन कंपनियों को भारी नुकसान होता है, जो कि एक समस्या है. भारत दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता घरेलू विमानन बाजार है और यात्रियों की संख्या में अक्टूबर में लगातार 50वें सप्ताह दहाई अंक में वृद्धि दर्ज की गई है. 

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भारतीय बाजार को लेकर आशान्वित

कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच टिकट के दाम नहीं बढ़ाना और विमान ईंधन की कीमतों में वृद्धि समेत विभिन्न कारकों के चलते घरेलू विमानन कंपनियों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. जुनियाक भारतीय विमानन बाजार को लेकर आशान्वित हैं लेकिन बुनियादी ढांचे, कर संरचना और अधिक लागत जैसी चिंताएं जताई हैं. जुनियाक ने कहा, "बाजार में काम-काज के मामले में, यदि मूल्य निर्धारण नीति के लिये दबाव झेलना पड़ता है तो आपको अधिक नुकसान होता है." कम किराया मांग के लिहाज से मजबूत उत्प्रेरक है लेकिन विमानन कंपनियों के लिये यह महंगा सौदा है. 

1.65-1.90 अरब डॉलर का होगा नुकसान

सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (CAPA) के सितंबर में लगाए अनुमान के मुताबिक घरेलू एयरलाइन कंपनियों को चालू वित्तीय वर्ष में करीब 1.65 से लेकर 1.90 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है. अधिक लागत और कम आय की वजह से तमाम घरेलू एयरलाइन को घाटा उठाना पड़ सकता है. उल्लेखनीय है कि सितंबर 2018 में समाप्त तिमाही में तीन भारतीय विमानन कंपनियों इंडिगो, स्पाइसजेट और जेट एयरवेज को नुकसान हुआ था.

 

कमाई के लिए पहल भी कर रहीं हैं कंपनियां

बढ़ती तेल की कीमतों और जबरदस्त प्रतिस्पर्धा के बीच घरेलू एयरलाइन पर काफी आर्थिक दबाव पड़ रहा है. ऐसे में तमाम एयरलाइन हवाई किरायों से नही बल्कि दूसरे तरीकों से चुपके से आय बढ़ाने की योजना बना रही हैं. कुछ समय पहले खबर आई कि एयरलाइन कंपनियां ancilliary रेवेन्यू बढ़ाने के लिए योजना बना रही हैं. Ancilliary रेवेन्यू यानी सीधे हवाई किराये न बढ़ाकर अन्य दूसरे तरीको से कमाई करना होता है. इसके अलावा टिकट कैंसिलेशन में बदलाव, कार्गो और अन्य तरह की पहल की जा रही है.

(इनपुट एजेंसी से)