देश में एवीएशन इंडस्ट्री में आने वाले दिनों में बड़ी क्रांति होने की संभावना है. दरअसर सरकार उड़ानों को सस्ता करने व आम आदमी की पहुंच में बनाने के लिए विमानन उद्योग में लगने वाली लागत को कम करने के लिए कई प्रयास कर रही है. नागर उड्यन मंत्री सुरेश प्रभु ने मुम्बई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि नागर उड्डयन मंत्रालय विमानन उद्योग में लागत को कम करने के लिए लगातार वित्त मंत्रालय से बात कर रहा है. प्रयास किया जा रहा है कि एवीएशन फ्यूल पर लगने वाल टैक्स को कम किया जा सके. वहीं कई अन्य तरह की लागतों को कम करने के लिए भी प्रयास हो रहे हैं.

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जेट ऐयरवेज की मदद नहीं करेगी सरकार

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री से पूछा गया कि क्या सरकार जेट ऐयरवेज पर ऑल मार्केटिंग कंपनियों व एयरपोर्ट एथारिटी ऑफ इंडिया का बकाया पैसा चुकाने के लिए सरकार जेट ऐयरवेज को कुछ मोहलत देगी. इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह एक कॉमर्शियल निर्णय है. बकाया पैसे जल्द से जल्द चुकाने को ले कर जेट ऐयरजेव को ही निर्णय लेना होगा. सरकार इस में किसी तरह की कोई मदद नहीं करेगी.

आर्थिक तंगी से जूझ रही है जेट ऐयरवेज

गौरतलब है कि जेट ऐयरवेज 01 जनवरी अपने कर्ज की किश्त को समय पर चुकाने में असफल हो गई. इस पर रेटिंग एजेंसी इक्रा ने लोन और बांड के मामले में कंपनी की रेटिंग को c से घटा कर D की श्रेणी में डाल दिया.

कंपनी को अब तक हुआ 1000 करोड़ का घाटा

कंपनी मार्च 2018 से अब तक लगातार तीन तिमाहियों में लगभग 1000 करोड़ रुपये का घाटा उठा चुका है. कंपनी अपने कर्मियों वे सप्लायरों को समय पर पैसा नहीं दे पा रही.