हवाई किराए में बेतहाशा बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिखा है. इसमें हवाई किराए में अत्यधिक बढ़ोतरी पर गहरी चिंता जाहिर की गई है. साथ ही कहा गया है कि जेट एयरवेज (Jet Airways) के बंद होने के बाद से विभिन्न एयरलाइन ने अपने हवाई किराए में अत्यधिक बढ़ोतरी कर दी है, जो किफायती मूल्य निर्धारण सिद्धांत के खिलाफ है. इसलिए सरकार को मूल्य नियंत्रण तंत्र नियामक विकसित करने पर जोर देना चाहिए ताकि एयरलाइन अनापशनाप किराया न लगा सकें.

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किराए में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी

कैट का कहना है कि विभिन्न एयरलाइन बिना किसी ठोस वजह या बुनियादी ढांचे में किसी परिवर्तन के डायनामिक मूल्य नीति के बहाने अनापशनाप किराया ले रही हैं. किसी भी एयरलाइन का टिकट चेक कर लीजिए, कुछ ही हदनों में समान सीट के किराए में बड़ा अंतर आ जाता है. इससे साफ है कि एयरलाइन अनुचित लाभ कमाने के लिए यात्रियों की जेब काटने पर आमादा हैं. इससे हवाई यात्रा करने वाले व्यापारियों और अन्‍या यात्रियों को बेहद परेशानी हो रही है.

अचानक बढ़ा किराया

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी भारतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने ज्ञापन में कहा कि बीते महीनों में देशभर में हवाई यात्रा के किराए में अचानक अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है, जो गंभीर चिंता का विषय है. क्योंकि यह न केवल 1 आम नागरिक की जेब ज्यादा बोझ डालता है बल्कि यह व्यापार और व्यापार के विकास के लिए एक गंभीर बाधा है. यह मौजूदा स्थिति डायनामिक किराया मूल्य तंत्र के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ भी है. बजट एयरलाइंस भी कीमतें बढ़ाने में आगे हैं. 

मूल्य नियंत्रण तंत्र विकसित करे सरकार

पदाधिकारियों ने कहा कि हम यह अच्छी तरह जानते हैं कि देश के भीतर हवाई यात्रा कोई अधिक लग्जरी नहीं है, बल्कि कुशल और त्वरित गतिशीलता के लिए अधिक जरूरी है. वर्तमान परिदृश्य में, अंतिम मिनट के स्पॉट किराए में दिल्ली- मुंबई सेक्टर या दिल्ली-चेन्नै सेक्टर के लिए वनवे हवाई किराया 20,000 रुपये है. संगठन ने सुझाव दिया है की हवाई किरायों पर नियंत्रण रखने के लिए एक मूल्य नियंत्रण तंत्र विकसित किया जाए, जो एयरलाइनों द्वारा तय किए जाने वाले किराए की ऊपरी सीमा पर नियंत्रण रखे.