CC, Bhp, RPM & Torque: एक जमाना था, जब लोग अपनी जेब और जरूरत के मुताबिक कार खरीदते हैं और कार खरीदते समय माइलेज और कीमत को प्राथमिकता देते थे. लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया लोगों की प्राथमिकताएं और इंटरेस्ट बदलते गए. अब के समय के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे और कार को खरीदने में ज्यादा सजग हो गए हैं. ऐसे में अब कार सिर्फ कीमत या माइलेज पर नहीं खरीदी जाती. अब कार में लोग स्पेसिफिकेशन्स, फीचर्स, इंजन, लुक समेत कई चीजें देखते हैं. इन सबमें कार का सबसे अहम हिस्सा होता है इंजन. इंजन के बल पर ही किसी कार का माइलेज और उसकी पावर देखी जाती है. अब इंजन को समझने के लिए कुछ टर्म्स का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे- सीसी, बीएचपी, हॉर्सपावर और टॉर्क. ये सभी शब्द किसी कार के इंजन को दर्शाते हैं और अगर आपको इनकी जानकारी हो जाए तो मान लो आपने कार का अहम हिस्सा पढ़ लिया. इस खबर में जानते हैं कि ये सभी चीजें क्या होती हैं और कैसे काम करती हैं?

क्या होता है CC?

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कार या बाइक खरीदते समय आपने कई बार डीलर से पूछा होगा कि ये कार या बाइक कितने सीसी की है. अब गूगल का जमाना है तो लोग गूगल पर ही सर्च करके सीसी की जानकारी ले लेते हैं. इंजन में सीसी का मतलब होता है क्यूबिक सेंटीमीटर होता है और इसे क्यूबिक कैपिसिटी से भी जाना जाता है. आपकी कार या बाइक के अंदर एक सिलेंडर दिया होता है. सिलेंडर का कुल वॉल्यूम ही सीसी कहलाता है. जिस व्हीकल में सिलेंडर के अंदर खाल जगह होगी, वो उतने ही ज्यादा सीसी का होगा. जितना ज्यादा सीसी होता है, उतना ही ज्यादा पावर जनरेट होता है. इसलिए आपने कई बार देखा होगा कि इंजन जितना ज्यादा सीसी का होता है, गाड़ी उतनी ही तेजी से स्पीड पकड़ लेती है. 

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टॉर्क की भूमिका भी जरूरी

टॉर्क एक तरह का फोर्स होता है, जिसे ट्विस्टिंग मोमेंट कहते हैं. आसान भाषा में समझें तो टॉर्क एक ऐसा फोर्स होता है, जो किसी चीज को सर्कुलर मोशन यानी गोल घुमाने में मदद करता है. गाड़ी में जितना ज्यादा टॉर्क उतना ही ज्यादा एक्सीलिरेशन. किसी गाड़ी का टॉर्क ये बताता है कि इंजन में कार का वजन खींचने की कितनी शक्ति है. ऐसे समझें- एक गाड़ी को स्टार्ट करके एक्सिलिरेट करने करते वक्त एक फोर्स जनरेट होती है. इस फोर्स की मदद से ही गाड़ी को आगे खींचा जाता है. गाड़ी को स्टार्ट करते समय जो हल्का सा झटका लगता है, वो ही टॉर्क स्पीड कहलाता है. टॉर्क को न्यूटन मीटर में मापा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि डीजल इंजन वाली गाड़ियों में ज्यादा टॉर्क जनरेट होता है. इसलिए बड़ी और भारी डीजल इंजन को प्राथमिकता दी जाती है. 

RPM भी समझ लेना जरूरी

आरपीएम का मतलब होता है रोटेशन पर मिनट. गाड़ी के इंजन में पिस्टन 1 मिनट में जितनी बार ऊपर नीचे होती है, उसे भी हम RPM के तौर पर दर्शाते हैं. जितना ज्यादा आरपीएम यानी कि इंजन उतना ही ज्यादा पावर जनरेट करेगा. इंजन में जो भी पावर बनेगी, वो गियर के सहारे व्हील्स तक पहुंचेगी. इससे ही दाड़ी की स्पीड तेज होगी. 

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