भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (electric vehicles) के डिस्ट्रीब्यूटर्स और कस्टमर्स को टारगेट कर बड़े पैमाने पर गूगल ऐड के जरिये फिशिंग कैम्पेन चलाया जा रहा है. लोगों को इससे अब तक चार से आठ करोड़ रुपये का चूना लग चुका है. IANS की खबर के मुताबिक सिक्योरिटी फर्म क्लाउडसेक ने बुधवार को बताया कि उसने एक ऐसे कैम्पेन का पर्दाफाश किया है, जिसमें गूगल ऐड का इस्तेमाल करके ग्राहकों से फर्जी वेबसाइट पर इलेक्ट्रिक वाहन की बुकिंग और डाउन पेमेंट के रूप में दो से चार लाख रुपये लिए जाते हैं.

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ग्राहकों को फिशिंग साइट पर ले जाया जाता है

खबर के मुताबिक, इस हेराफेरी में शामिल लोग गूगल ऐड के जरिये संभावित ग्राहकों को फिशिंग साइट यानी फर्जी वेबसाइट पर ले जाते हैं. धोखाधड़ी करने वाले असली कंपनी के नाम से मिलता-जुलता डोमेन नेम रजिस्टर कराते हैं और फिर उसके लिए गूगल ऐड देते हैं. ये लोग एसईओ यानी सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (Search engine optimization) को भी चकमा देते हैं, यानी इंटरनेट पर कंपनी के बारे में सर्च करने पर फर्जी वेबसाइट को असली वेबसाइट के मुकाबले ज्यादा तरजीह दी जाती है. 

फर्जी वेबसाइट पूरी तरह से असली वेबसाइट की नकल होती है

एसईओ को चकमा देने से इन फर्जी वेबसाइटों का गूगल ऐड सर्च में ऊपर दिखता है. ग्राहक जब इन ऐड पर क्लिक करता है तो यह उन्हें फिशिंग डोमेन पर ले जाता है. फर्जी वेबसाइट पूरी तरह से असली वेबसाइट की नकल होती है. उस पर असली वेबसाइट की तस्वीरें और सामग्री दिखाई देती है. कंपनी के मुताबबिक, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के बाद से इस तरह की धोखाधड़ी बढ़ गई है. 

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पर्सनल डाटा भी हो जाती है चोरी

सरकार ने सितंबर 2021 में इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ईंधन वाले वाहनों को पीआईएल योजना (PIL Scheme) के दायरे में लाने की घोषणा की थी. ये फर्जी वेबसाइट्स ग्राहकों को आर्थिक नुकसान तो देती ही हैं, साथ ही ग्राहक उन पर अपनी निजी जानकारियां और बैंकिंग डिटेल भी साझा कर देते हैं, जिससे आइडेंटिटी की चोरी का खतरा बढ़ जाता है. ईवी कंपनियों के कारोबार को इन फर्जी वेबसाइटों से सीधा नुकसान हो रहा है और साथ ही उनकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता भी दांव पर लग जाती है.