अगर आपकी कार की पॉलिसी (Car Insurance Policy) खत्‍म होने वाली है लेकिन लॉकडाउन के कारण उसे रेन्‍यू नहीं करा पा रहे हैं तो परेशान मत होइए. क्‍योंकि वित्त मंत्रालय ने पॉलिसी को रेन्‍यू कराने की तारीख आगे बढ़ाने के साथ इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यानि अगर 25 मार्च से 14 अप्रैल के बीच आपकी पॉलिसी खत्‍म हो रही है तो उसे लॉकडाउन के बाद जमा किया जा सकेगा. ऐसे लोग 21 अप्रैल तक प्रीमियम जमा कर सकते हैं. 

इससे पहले IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) ने एक और बड़ी राहत प्रदान की थी. IRDAI ने तमाम बीमा कंपनियों से कहा कि वह पॉलिसी रिन्‍यूवल की तारीख 1 महीने बढ़ा दे. इसके साथ ही LIC ने प्रीमियम भरने की तारीख 15 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है.

IRDAI के लेटर के मुताबिक मेडिक्‍लेम (Mediclaim) या हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पॉलिसी रिन्यूवल के मामले में बीमा कंपनियां 30 दिन तक लेट फीस माफ कर सकती हैं. साथ ही इससे पॉलिसी ब्रेक भी नहीं होगी. बीमा कंपनियों से कहा गया है कि वे पॉलिसी धारक को समय रहते ही इसके बारे में बता दें.

इससे पहले IRDAI ने बीमा कंपनियों (Insurance Companies) से ऐसी पॉलिसियां लाने को कहा था, जिनमें कोरोना वायरस (Coronavirus) के इलाज का खर्च भी ‘कवर’ हो. दुनियाभर में कोरोना वायरस से हजारों की संख्या में लोग संक्रमित हुए हैं. जरूरत आधारित स्वास्थ्य बीमा कवर (Health Insurance cover) उपलब्ध कराने के तहत बीमा कंपनियां विभिन्न उत्पादों से संबंधित बीमारियों के लिए उत्पाद उपलब्ध करा रही हैं. इनमें मच्छरों आदि से होने वाली बीमारियां शामिल हैं. देश में कोरोना वायरस के 28 मामलों की पुष्टि हुई है.

बीमा नियामक ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे कोरोना वायरस के इलाज से संबंधित दावों का तेजी से निपटान करें. IRDAI ने कहा कि जिन मामलों में अस्पताल में भर्ती होने का खर्च कवर हो, बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि कोविड-19 (Covid 19) से संबंधित मामलों का तेजी से निपटान किया जाए.

बता दें कि इरडा ने पहले ही कंपनियों से कहा है कि वे हेल्थ इंश्योरेंस में शामिल नहीं होने वाली बीमारियों के लिए कवर का प्रावधान करें. बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारियां जैसे, घुटने की कैप रिप्लेसमेंट (Knee Replacement), मोतियाबिंद सर्जरी (Cataract), अल्जाइमर (Alzhiemer) और पार्किंसन्स (Parkinson) जैसे रोग, जिन्हें पहले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से बाहर रखा गया था, अब बीमा कंपनी द्वारा कवर किया जाएगा.