हैकरों ने यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (UPSC) की वेबसाइट और UIDAI के सॉफ्टवेयर को निशाना बनाया है. हुआ यूं कि मंगलवार को सिविल सर्विस मेन्‍स 2018 के एडमिट कार्ड जारी होने से पहले ही टि्वटर पर यूपीएससी की वेबसाइट का स्‍क्रीनशॉट वायरल होने लगा था जिससे सवाल उठा कि कहीं साइट हैक तो नहीं हो गई.

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सूत्रों का कहना है कि सरकार द्वारा संचालित वेबसाइट सोमवार रात हैक हुई थी. जब यूजर्स ने वेबसाइट खोली तो होमपेज पर 'डोरीमॉन' की फोटो दिख रही थी. उसके नीचे कैप्‍शन लिखा था-“Doraemon!!!!!!! Pick up the call”. पन्‍ने पर यह भी लिखा था- “I.M.STEWPEED”. इस घटना से सभी हैरान रह गए क्‍योंकि यूपीएससी केंद्र की प्रीमियम रिक्रूटमेंट एजेंसी है. ओडीशा टीवी की रिपोर्ट में दावा है कि इसके कुछ घंटों तक साइट डाउन रही लेकिन बाद में ठीक कर ली गई.

उधर, हफिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में दावा है कि बाजार में एक ऐसा सॉफ्टवेयर मिल रहा है जो आधार के बॉयोमेट्रिक और पर्सनल डेटा को सुरक्षित रखने वाले सिक्योरिटी फीचर को भेदने में सक्षम है. ये सॉफ्टवेयर बाजार में मात्र 2500 रुपये की कीमत में उपलब्ध है. हालांकि यूआईडीएआई ने कहा है कि जबतक कोई व्यक्ति बायोमेट्रिक ब्योरा नहीं देता है, कोई भी परिचालक आधार नहीं बना सकता या उसे अद्यतन नहीं कर सकता. प्राधिकरण ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया कि आधार साफ्टवेयर को कथित रूप से ‘हैक’ किया गया है.

यूआईडीएआई ने किया हैकिंग से इनकार

एक आधिकारिक बयान में यूआईडीएआई ने जोर देकर कहा कि उसकी प्रणाली में कोई भी सेंध नहीं लगा सकता. प्राधिकरण ने साफ्टवेयर और आईडी आंकड़ों के साथ कथित तौर पर किसी प्रकार के समझौते की बातों को एकदम से खारिज कर दिया. उसने कहा कि इस प्रकार के दावों में कोई सचाई नहीं है और पूरी तरह आधारहीन है. आधार पंजीकरण साफ्टवेयर को कथित रूप से ‘हैक’ करने की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए प्राधिकरण ने दावा कि कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व जानबूझकर लोगों के मन में भ्रम फैला रहे हैं जो पूरी तरह अवांछित है.

बॉयोमेट्रिक के बिना हैकिंग सभंव नहीं

यूआईडीएआई ने कहा कि उसने लोगों के आंकड़ों की पूर्ण सुरक्षा को लेकर जरूरी सुरक्षात्मक कदम उठाये हैं. प्राधिकरण ने यह भी साफ किया कि कोई भी परिचालक आधार तबतक नहीं बना सकता है अद्यतन नहीं कर सकता जबतक कोई व्यक्ति स्वयं बायोमेट्रिक सूचना नहीं दे. पंजीकरण और अद्यतन प्रक्रिया के लिये कड़े नियमों का पालन किया जाता है. यूआईडीएआई ने कहा, ‘‘इसीलिए आधार डेटाबेस में ऐसे पंजीकरण कोई संभावना नहीं है जो मौजूद ही नहीं है.’’