अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन की मोबाइल हार्डवेयर कंपनी हुआवेई (Huawei) पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद टेक्नालॉजी सेक्टर की दुनिया में गहरे बदलाव आने की बात कही जा रही है. अमेरिका के वाणिज्य विभाग से राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा है कि अमेरिकी कंपनियों को हुआवेई को कोई भी प्रोडक्ट बेचने से पहले उसकी अनुमति लेनी होगी. इसके बाद पिछले सप्ताह हालात तेजी से बदल गए. न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक गूगल (Google), क्वालकॉम (Qualcomm) और ब्रॉडकॉम (Broadcom) जैसी कंपनियों ने चीनी कंपनी को कुछ उत्पादों की सप्लाई रोक दी. उदाहरण के लिए गूगल अब हुआवेई को एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम का फुल वर्जन नहीं देगा. हो सकता है कि आने वाले दिनों में कुछ और चीनी कंपनियों पर ऐसे ही प्रतिबंध लगाए जाएं.

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ट्रंप सरकार ने अमेरिकी कंपनियों और हुआवेई के बीच कुछ लेनदेन के लिए 90 दिन का ग्रेस पीरियड दिया है. माना जा रहा है कि इससे अमेरिका और चीन के बीच एक लंबी डिजिटल जंग की शुरुआत हो सकती है. हालांकि दोनों सरकारों ने उम्मीद निकलने की बात कही है. 

अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो अमेरिका के प्रतिबंधों से हुआवेई की स्मार्टफोन डिविजन लगभग बंद होने के कगार पर पहुंच जाएगी. लंबे समय में दुनिया टेक्नालॉजी के लिहाज से दो हिस्सों में बंट जाएगी. हो सकता है कि चीन अपने यहां इन टेक्नालॉजी के विकास पर काम तेज कर दे. ऐसे में चीन अपने उत्पाद इस्तेमाल करेगा और अमेरिका अपने.

ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि दूसरे देश किसका पक्ष लेंगे. अमेरिका का अनुमान है कि पश्चिमी देश उसका साथ देंगे. गरीब देश कम कीमत को प्राथमिकता देंगे. हुआवेई 5जी टेक्नालॉजी सस्ते में दे रहा है. हालांकि टेक ट्रेड वार बढ़ने से अंत में कीमतें बढ़ेंगी ही. जिसका असर उपभोक्ता पर सबसे अधिक होगा.