Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश में एक अप्रैल को लगाई गई इमरजेंसी मंगलवार देर रात हटा दिया. मंगलवार रात को जारी राजपत्रित अधिसूचना में राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आपातकालीन नियम अध्यादेश को वापस ले लिया है. जिसके तहत सुरक्षा बलों को देश में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए थे.

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एक अप्रैल को लगाई थी इमरजेंसी

राष्ट्रपति ने देश में बदतर आर्थिक हालात को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर एक अप्रैल को सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा की थी. तीन अप्रैल को होने वाले व्यापक विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर आपातकाल लगाया गया था.

इसके बाद सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया था. कर्फ्यू और आपातकाल के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी रहे. इस दौरान नाराज प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेताओं के आवास का घेराव कर सरकार से आर्थिक संकट को हल करने का आग्रह किया था.

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पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन

विरोध प्रदर्शनों के हिंसक होने से कई लोग घायल हो गए और वाहनों में आग लगा दी गई. राष्ट्रपति के आवास के पास लगे बैरिकेड गिराए जाने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारे की. इसके बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और कोलंबो शहर के अधिकतर हिस्सों में कुछ समय के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया.

कई इलाकों में घंटों पावर कट 

श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन और रसोई गैस जैसे आवश्यक सामान की किल्लत हो गई है. यहां रोज 12 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है. राजधानी कोलंबो में कई इलाकों में घंटों से पावर कट है. बिजली नहीं है लेकिन लोग फिर भी अंधेरे में काम कर रहे हैं. कोई मोबाइल का टॉर्च जलाकर काम कर रहा है तो कोई कागज और लिफाफों का पंखों के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. जिससे गर्मी से बचा जा सके. कोलंबो में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. आर्थिक संकट के बाद से ही लोग सड़कों पर हैं. वहीं यहां के युवा बैनर पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ

इस मुश्किल घड़ी में श्रीलंका की मदद के लिए भारत ने हाथ बढ़ाया है. वह श्रीलंका को संकट से उबारने के लिए हरसंभव मदद कर रहा है. श्रीलंका में भारत के  उच्चायुक्त गोपाल बागले ने कहा कि, 'इस साल जनवरी से भारत से श्रीलंका को 2.5 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की सहायता की गई है. फरवरी में 500 मिलियन अमरीकी डालर की क्रेडिट लाइन पर हस्ताक्षर किए गए थे. मार्च में 150,000 टन से ज्यादा जेट विमानन ईंधन, डीजल और पेट्रोल की कुल चार खेप भेजी गई हैं. मई तक पांच और खेप भेजी जानी है. पिछले महीने भोजन, दवा और आवश्यक वस्तुओं के लिए 1 बिलियन अमरीकी डालर की एक और लाइन ऑफ क्रेडिट पर हस्ताक्षर किए गए थे.'