अमेरिका में आज यानी 1 अक्टूबर से जो शटडाउन (US Shutdown) होना था, उसका खतरा लगभग टल गया है. शटडाउन को रोकने के लिए एक विधेयक पारित किया गया है. अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा और उच्च सदन सीनेट ने संघीय सरकार को 45 दिनों तक फंडिंग दिए जाने के विधेयक को मंजूरी दे दी है. इसके लिए Stopgap Funding Bill पारित हुआ है, जिसे प्रतिनिधि सभा ने 335-91 वोट के अंतर से पारित किया है. इस बिल को सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब शटडाउन का खतरा कम से कम 17 नवंबर तक तो टल ही गया है.

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अभी जिस फंडिंग को मंजूरी दी गई है, उसमें 16 अरब डॉलर आपदा के वक्त राहत के लिए दिए गए हैं. हालांकि, इसमें यूक्रेन को दी जाने वाली मदद को शामिल नहीं किया गया है.17 नवंबर तक को टल गया है. अभी जिस फंडिंग को मंजूरी दी गई है, उसमें 16 अरब डॉलर आपदा के वक्त राहत के लिए दिए गए हैं. हालांकि, इसमें यूक्रेन को दी जाने वाली मदद को शामिल नहीं किया गया है. वैसे तो अब शटडाउन कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है, लेकिन इसकी खबर ने सबको डरा दिया था. इसके तहत सरकार की फंडिंग रुकने वाली थी और अगर ऐसा हो जाता तो इससे सरकार के कई विभाग अस्थाई रूप से काम करना बंद कर देते. लेकिन ये पूरा मामला क्या है और ये कितना खतरनाक हो सकता था?

गवर्न्मेंट शटडाउन का क्या है मसला?

अमेरिका के फेडरल सरकार में हर वित्तीय वर्ष में कांग्रेस 438 सरकारी एजेंसियों के लिए फंडिंग का आवंटन करती है, ये वित्तीय वर्ष 30 सितंबर को खत्म होता है. अगर सांसद वित्त वर्ष शुरू होने पर ये बिल पास नहीं करते हैं तो सरकारी एजेंसियों के पास काम करने के लिए पैसा नहीं रहता और उनको बंद होना पड़ता है. सांसदों और दक्षिणपंथी रिपब्लिक नेताओं के बीच विवाद की वजह से फंडिंग के प्रस्ताव पर बात नहीं हो पा रही थी, जिससे यूएस शटडाउन का खतरा खड़ा हो गया था. 1981 के बाद से अबतक यूएस में 14 बार शटडाउन हो चुका है, हालांकि, इनमें से कुछ एक या दो दिनों के लिए भी रहे हैं. हालांकि, इसके पहले दिसंबर, 2018 और जनवरी, 2019 के बीच 34 दिनों तक शटडाउन चला था, जोकि सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर हुआ था. अक्सर ऐसा भी होता है कि सांसद एजेंसियों का मौजूदा फंड बढ़ाकर डेडलाइन खिसका देते हैं, ताकि नेगोसिएशन चलता रहे. इस बार भी वैसा ही हुआ है और डेडलाइन को आगे खिसका दिया गया है.

क्यों आती है शटडाउन की स्थिति?

शटडाउन तब होता है जब यूएस की सरकार को अपने बजट में कांग्रेस की ओर से पैसा अलॉट नहीं किया जाता है.  कांग्रेस सरकार पर कर्ज की एक सीमा तय करती है, जिसके ऊपर सरकार कर्ज नहीं ले सकती, इस लिमिट को वक्त-वक्त पर बढ़ाया जाता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो यूएस ट्रेजरी अपने कर्ज नहीं चुका पाता है. हालांकि, शटडाउन डेट लिमिट से अलग और ज्यादा खतरनाक होता है. शटडाउन में इकोनॉमी पर तुरंत असर नहीं पड़ता, लेकिन डेट पर डिफॉल्ट करने के गंभीर खतरे हो सकते हैं. ग्लोबल फाइनेंशियल बाजारों में भूचाल आ सकता है और देश मंदी की चपेट में जा सकता है.

शटडाउन का क्या होता है असर

अगर शटडाउन होता तो फेडरल सरकार के तहत आने वाले ढेरों कर्मचारियों को अस्थायी छुट्टी दी जा सकती थी, जिसमें उन्हें सैलरी भी नहीं मिलती. कई तरह के रोजगार बंद हो सकते थे. हालांकि, जो कर्मचारी 'जरूरी सेवाओं' में काम करते हैं, वो काम करते रहते, लेकिन उन्हें भी इसके पैसे बहुत कम मिलते या सैलरी टाल दी जाती. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर शटडाउन बस कुछ दिनों के लिए होता है तो इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता है, लेकिन अगर यह करीब दो हफ्तों के लिए होता है तो फेडरल कर्मचारियों को उनकी सैलरी नहीं मिलती है तो ब्रॉडर इकोनॉमी पर असर दिखाई दे सकता है.

Goldman Sachs के मुताबिक, जितने भी हफ्ते शटडाउन रहता, उसमें हर हफ्ते जीडीपी ग्रोथ (US GDP Growth) में 0.15 फीसदी की गिरावट आ सकती थी. कांग्रेशनल बजट ऑफिस के आंकड़ों के मुताबिक, 2018-2019 के शटडाउन में यूएस की इकोनॉमी को 3 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था.