PM Modi's Europe Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ द्विपक्षीय संबंधों के सम्पूर्ण आयामों की समीक्षा की. वहीं यूक्रेन संकट के बारे में उन्होंने कहा कि युद्ध में कोई विजयी नहीं होगा, सभी को नुकसान होगा, इसलिए भारत शांति के पक्ष में हैं. वहीं जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया.

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शॉल्ज ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत की भूमिका अहम है. दोनों पक्षों के बीच बैठक के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यूक्रेन के संकट के आरंभ से ही हमने तुरंत युद्धविराम का आहृवान किया और इस बात पर जोर दिया था कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र उपाय है.

"युद्ध में सभी को होगा नुकसान"

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इस युद्ध में कोई विजयी नहीं होगा, सभी को नुकसान होगा इसलिए हम शांति के पक्ष में हैं.’’ मोदी ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष से उथल-पुथल के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, विश्व में खाद्यान्न और उर्वरकों की भी कमी हो रही है. उन्होंने कहा कि इससे विश्व के हर परिवार पर बोझ पड़ा है किंतु विकासशील और गरीब देशों पर इसका ज्यादा गंभीर असर हो रहा है.

जर्मनी के साथ संबंधों के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक देशों के तौर पर भारत और जर्मनी कई मूल्यों को साझा करते हैं तथा इन साझा मूल्यों और साझा हितों के आधार पर पिछले कुछ वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड बाद के काल में भारत दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे तेज वृद्धि देख रहा है.‘‘हमें विश्वास है कि भारत वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा.’’ 

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पीएम मोदी ने  कहा कि ‘‘हाल ही में हमने बहुत कम समय में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.’ उन्होंने कहा कि भारत यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता में त्वरित प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है. बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज ने शिष्टमंडल स्तर की वार्ता की वार्ता की जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भी हिस्सा लिया.

प्रधानमंत्री मोदी की जर्मनी की पांचवी यात्रा

बाद में मोदी और ओलाफ ने छठे भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श (IGC) कार्यक्रम की सह अध्यक्षता की. आईजीसी की शुरुआत 2011 में हुई थी. यह एक विशिष्ट द्विवार्षिक तंत्र है जो दोनों देशों की सरकारों को व्यापक द्विपक्षीय मुद्दों पर समन्वय की मंजूरी देता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी पिछली आईजीसी 2019 में हुई थी, तब से विश्व में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डाला है. मोदी ने कहा कि हाल की भू राजनीतिक घटनाओं ने भी दिखाया कि विश्व की शांति और स्थिरता कितनी नाजुक स्थिति में है और सभी देश एक दूसरे से कितने जुड़े हैं.

 प्रधानमंत्री मोदी की यह जर्मनी की पांचवी यात्रा है. इससे पहले वह अप्रैल 2018, जुलाई 2017, मई 2017 और अप्रैल 2015 जर्मनी गए थे. 

भारतीय समुदाय को भी करेंगे संबोधित

प्रधानमंत्री का जर्मनी में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा भारत जर्मनी के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने का भविष्य का खाका तैयार करेगी. गौरतलब है कि बर्लिन के बाद प्रधानमंत्री तीन मई को डेनमार्क जाएंगे जहां वह अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. वहां वह द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां वह फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे.