पेट्रोलियम निर्यातक देशों के समूह (OPEC) की बैठक के बीच भारत ने ईरान से बड़े फायदे की डील की है. पहले खबर आ रही थी कि भारत और ईरान रुपए में कारोबारी लेन-देन करेंगे. इस कड़ी में भारत ने ईरान को क्रूड का भुगतान रुपये में करने का करार किया है. इससे भारत को काफी फायदा होगा. डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरने से भारत का क्रूड इम्‍पोर्ट बिल पिछले दिनों काफी बढ़ गया था. इस कारण देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी चढ़ने लगी थीं. ऐसा लग रहा था कि पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर के स्‍तर तक पहुंच जाएगा, लेकिन भारत और ईरान के बीच इस करार से ये आशंका खत्‍म हो गई है.

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क्‍या होगा फायदा

भारत ईरान से सबसे ज्‍यादा क्रूड का आयात करता है. अब तक आयात का पेमेंट डॉलर में हो रहा था. लेकिन अब भारत रुपए में ईरान से क्रूड खरीदेगा. इससे डॉलर के चढ़ने या क्रूड के महंगा होने का ज्‍यादा असर भारत पर नहीं पड़ेगा. तेल की कीमतों में ज्‍यादा उछाल आने की आशंका नहीं है.

कैसे होगा लेन-देन

अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन भारत व 7 अन्य देशों को प्रतिबंध के बावजूद ईरान से कच्चा तेल खरीदने की छूट दी है. ईरान पर यह प्रतिबंध 5 नवंबर से लागू हुआ है. इसके बाद रुपये में भुगतान के लिए सहमति ज्ञापन (MoU) किया गया था. भारतीय रिफायनरी कंपनियां, नेशनल ईरानियन आयल कंपनी (NIOC) के यूको बैंक खाते में रुपये में भुगतान करेंगी. सूत्रों ने कहा कि इसमें से आधी राशि ईरान को भारत द्वारा किए गए वस्तुओं के निर्यात के भुगतान के निपटान को रखी जाएगी.

 

क्‍या है भारत की योजना

भारत तेल खरीदने के बदले ईरान को अनाज, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्यात कर सकता है. भारत को अमेरिका से यह छूट आयात घटाने और एस्क्रो भुगतान के बाद मिली है. इस 180 दिन की छूट के दौरान भारत प्रतिदिन ईरान से अधिकतम 3 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात कर सकेगा. इस साल भारत का ईरान से कच्चे तेल का औसत आयात 5,60,000 बैरल प्रतिदिन रहा है.

भारत दूसरा बड़ा खरीदार

भारत, ईरान के तेल का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. अब ईरान से भारत महीने में 12.5 लाख टन या डेढ़ करोड़ टन सालाना या 3 लाख बैरल प्रतिदिन की कच्चे तेल की ही खरीद कर सकता है. वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने ईरान से 2.26 करोड़ टन या 4,52,000 बैरल प्रतिदिन की तेल की खरीद की थी.