पाकिस्तान (Pakistan) को बेहद गंभीर आर्थिक संकट से उबारने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लिए गए कर्ज की शर्तों ने समाज में बेचैनी पैदा कर दी है. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए किए जा रहे कड़े उपायों के खिलाफ पाकिस्तान की कारोबारी बिरादरी ने शनिवार (13 जुलाई) को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है. 

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पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रपटों में कहा गया है कि इस हड़ताल को टालने की कोशिशों को तब धक्का लगा, जब कराची में प्रधानमंत्री इमरान खान से व्यापारी नेताओं की बातचीत बेनतीजा रही.

कर से जुड़े प्रावधानों के खिलाफ बंद

कारोबारी संगठनों ने कहा है कि केंद्रीय बजट में कर से जुड़े प्रावधानों के खिलाफ देश में बंद रखा जाएगा. उनका कहना है कि उन्हें इससे आपत्ति नहीं है कि सरकार कर दायरे को बढ़ाना चाहती है, लेकिन यह डंडे के जोर पर किया जा रहा है, जो मंजूर नहीं है. उन्होंने कहा कि देश में उद्योग-धंधों का बुरा हाल है. अर्थव्यवस्था का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें दिक्कत न हो. ऐसे में कारोबारियों के साथ जोर-जबरदस्ती मंजूर नहीं की जा सकती.

'कारोबारी विरोधी' कर प्रावधान के खिलाफ है बंद

कोराबारियों के संगठन ऑल पाकिस्तान मरकजी अंजुमन-ए-ताजिरान के अध्यक्ष अजमल बलोच ने इस्लामाबाद में कहा कि यह हड़ताल सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि आईएमएफ के निर्देश पर बजट में किए गए 'कारोबारी विरोधी' कर प्रावधान के खिलाफ है. 

उन्होंने कहा कि आईएमएफ ने खुद अपनी जारी रिपोर्ट में जिन शर्तो का उल्लेख किया है, उनसे कारोबार और अर्थव्यवस्था की हालत और खस्ता होगी. 

सरकार कर वापस ले

उधर, लाहौर में ऑल पाकिस्तान अंजुमन-ए-ताजिरान के महासचिव नईम मीर ने कहा कि 13 जुलाई को पाकिस्तान में हड़ताल रहेगी. उन्होंने कहा कि सरकार के साथ कारोबारी तब तक वार्ता नहीं करेंगे, जब तक सरकार 'अनुचित करों' को वापस नहीं ले लेती.

कारोबारियों ने कहा है कि IMF के इशारे पर तैयार बजट ने गरीबों की जिंदगी और मुश्किल बना दी है. उन्होंने कहा कि सरकार क्यों नहीं यह बात समझती कि जब कारोबार ही नहीं बचेगा तो टैक्स कहां से आएगा.