बीते दिनों पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जारी भारी बढ़ोतरी पर लगाम तो लग गई है, लेकिन कीमतों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला अभी भी जारी है. ऐसे में सभी के मन में सवाल है कि आगे तेल का भाव किस दिशा में जाएगा. जानकारों का मानना है कि 2019 में तेल की मांग में तेजी देखने को मिलेगी. वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेतों के बावजूद तेल की मांग में तेजी का कारण इसकी कीमतों में आई कमी को बताया जा रहा है.

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इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी ने शुक्रवार को जारी अपने आउटलुक में कहा है कि 2019 में तेल की कीमत अमेरिका-चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार और अमेरिकी डॉलर के रुख से प्रभावित होगी. हालांकि एजेंसी ने माना, 'ग्लोबल इकनॉमी की मूड बहुत अच्छा नहीं है और इंडस्ट्री में मांग का पूर्वानुमान बदल भी सकता है.' अभी एजेंसी का अनुमान है कि 2018 के मुकाबले 2019 में तेल की मांग अधिक रहेगी.

रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में तेल की मांग 1.3 मिलियन बैरल प्रति दिन थी और इस साल इसके थोड़ा अधिक 1.4 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहने का अनुमान है. मांग में तेजी का ये रुख मुख्य तौर से इसलिए है क्योंकि 2018 की औसत कीमत के मुकाबले इस समय तेल की कीमत कम है.

एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'हमने देखा की अक्टूबर की शुरुआत में अपने पीक के बाद तेल की कीमतें तेजी से गिरीं और इससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली.' शार्ट टर्म में तेल की मांग में अनिश्चितता बनी रहेगी.