Kamaal ki Bicycle: जापान (Japan) के फुकुकोआ शहर में छात्रों ने एक ऐसी साइकिल (bicycle) बनाई है जो हवा से चलती है. इसकी अधिकतम रफ्तार 64 किलोमीटर प्रति घंटा है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने छात्रों की इस साइकिल को कंप्रेस्ड हवा से चलने वाली दुनिया में सबसे तेज साइकिल का सर्टिफिकेट दिया है. 

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गिनीज बुक में हुआ दर्ज (certified by Guinness World Records)    

पश्चिमी जापान के शहर फुकुकोआ में हाई स्कूल के छात्रों की ये साइकिल हवा से चलती है. खास बात ये है कि compressed air से चलने वाली साइकिल का नाम गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है. गिनीज बुक ने इसे हवा से चलने वाली दुनिया की सबसे तेज चलने वाली साइकिल का सर्टिफिकेट दिया है. 

64 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार (Speed ​​of 64 kilometers per hour)

अंग्रेजी अखबार Mainichi के मुताबिक फुकुकोआ म्युनिसिपल के हकाटा टेक्निकल स्कूल के छात्रों ने ये साइकिल बनाई है. इस टीम में 8 छात्र शामिल हैं, जिनमें अधिकांश automotive engineering के हैं. इसके लिए एक खास तरह की इंजन बनाई गई है, जिससे यह प्रति घंटे 64 किलोमीटर की रफ्तार से चल सकती है. छात्रों के पहले के रिसर्च के बाद इस टीम को ये कामयाबी हासिल हुई. इसमें ईंधन (gasoline) का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इस वजह से यह प्रदूषण नहीं फैलाती. 

साइकिल के इंजन में किए सुधार (Bicycle engine improvements)

टीम के अनुसार शुरु में उन्होंने एक मोटरसाइकिल को इसके बेस के लिए इस्तेमाल किया. लेकिन इसकी अधिकतम स्पीड स्पीड सिर्फ 4.5 किलोमीटर प्रति घंटा थी. फिर पिछले साल इसका बेस वेट कम करने के लिए उन्होंने साइकिल का इस्तेमाल करना शुरू किया. छात्रों ने एयर टैंक का साइज दोगुना कर दिया. उन्होंने छोटे मोटरसाइकिल के इंजन का भी लगाया और इसके पार्टस में कई सुधार किए. इन सब कोशिशों के बाद इस साइकिल में काफी बदलाव देखने को मिला. अभी भले ही अभी इसकी स्पीड 64 किलोमीटर हो लेकिन यह स्पीड सिर्फ 3 मिनट रह सकती है. वो भी तब जब साइकिल की रफ्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटा हो. जाहिर है ये सारी चीजें अभी इसके आम लोगों के इस्तेमाल के लिए बड़ी चुनौती हैं.

कार में करना चाहते हैं तकनीक का इस्तेमाल (Want to use technology in car)

फरवरी में वहां के मेयर Soichiro Takashima ने छात्रों की जमकर तारीफ की. मेयर ने कहा कि इस साइकिल और इसके इंजन की आवाज से वो बहुत प्रभावित हुए. टीम के 18 वर्षीय छात्र  Shogo Inoue ने कहा कि गिनीज बुक से सर्टिफिकेट मिलने के बाद उन्हें इतनी खुशी हुई जिसके बारे में बताया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि इस तकनीक इस्तेमाल वो कार में करना चाहते हैं.

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