Crude Oil: दुनिया की अर्थव्यवस्था के इस साल लगभग 3.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने के अनुमान बीच कच्चे तेल का निर्यात करने वाले अरब देश ऊर्जा की ऊंची कीमतों के चलते चांदी काट सकते हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति से अरब देशों (Arab countries) की अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होंगी और उनका वित्तीय भंडार बढ़ेगा. वहीं दूसरे देशों को इस स्थिति के चलते चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

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अरब देशों की अर्थव्यवस्थाओं में उछाल आएगा

खबर के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से अरब देशों की अर्थव्यवस्थाओं में उछाल आएगा. तेल निर्यातकों को इस स्थिति में अप्रत्याशित लाभ होगा. रिपोर्ट कहती है कि पश्चिमी एशिया में कच्चे तेल का आयात करने वाले और काला सागर क्षेत्र से खाद्य इम्पोर्ट पर बहुत ज्यादा निर्भर मिस्र जैसे देशों पर हालांकि इस स्थिति का नकरात्मक प्रभाव पड़ेगा.

तेल उत्पादकों के लिए एक चमत्कार

वहीं, रूस के हमले के बाद यूक्रेन में किसानों को खेती-छोड़कर हथियार उठाना पड़ रहा है. यूक्रेन के किसान बंदरगाह और सड़कें बंद होने की वजह से अपने अनाज का निर्यात भी नहीं कर पा रहे हैं. इसकी वजह से गेहूं की कीमतों में उछाल आया है. रिपोर्ट के मुताबिक, ऊर्जा की ऊंची कीमतों (Crude Oil) ने सऊदी अरब जैसे तेल उत्पादकों के लिए एक ‘चमत्कार’ किया है. इसकी वजह से इस साल सऊदी अरब (Arab countries) की अर्थव्यवस्था में 7.6 प्रतिशत, कुवैत की अर्थव्यवस्था में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है.

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कितना रहेगा कच्चे तेल का भाव

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का यह अनुमान 2022 के दौरान कच्चे तेल की कीमत के औसतन 107 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 92 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहने के अनुमान पर आधारित है. भारत की बात की जाए तो रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग का कुछ फायदा भारतीय तेल कंपनियों को हुआ. पिछले महीने ऑयल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने कच्चे तेल की मौजूदा इंटरनेशनल प्राइस के मुकाबले रूस से भारी छूट पर 30 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है.