चीन में कोरोना वायरस का असर सबसे ज्यादा छोटी कंपनियों पर पड़ा है. वे अपना कामकाज अबतक शुरू नहीं कर पाये हैं और आपूर्ति श्रृंखला बाधा से उबरने के लिये संघर्ष कर रहे हैं. इस वायरस के कारण चीन में बंद जैसे हालात हैं.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अधिकारियों ने जनवरी में होने वाले नये साल के अवकाश को बढ़ा दिया और स्कूलों, कारखानों तथा रेलवे को बंद करने का आदेश दिया ताकि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके. इस खतरनाक वायरस के कारण 2,500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.

उद्योग मंत्रालय के प्रवक्ता तिआन यूलोंग ने सोमवार को कहा कि कुछ उद्योगों ने कामकाज शुरू किया है लेकिन छोटे उद्यमों में 10 में से केवल करीब तीन ही काम पर लौटे हैं.

परिवहन बाधाओं के कारण कर्मचारियों के लिये यात्रा करना मुश्किल हो गया है. साथ ही इससे कच्चे माल की ढुलाई की समस्या है.

अधिकारियों ने सोमवार को छोटे उद्योगों को वित्त समेत हर संभव मदद का संकल्प जताया. इसमें परिवहन और पर्यटन कारोबार के लिये तरजीही कर व्यवस्था शामिल है.

इस बीच, चीन की शीर्ष आर्थिक नियोजन एजेंसी के अधिकारी कांग लिआंग ने कहा कि इस्पात उद्योग करीब 70 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहा है जबकि रेल माल ढुलाई सामान्य स्थिति में आ गयी है.

चीन की अर्थव्यवस्था में लघु एवं मझाले उद्यमों की हिस्सेदारी करीब 60 प्रतिशत है और देश में स्वास्थ्य संकट के कारण प्रमुख क्षेत्र खासा दबाव में हैं. राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस का आर्थिक प्रभाव अल्पकालीन होगा और वह संभालने लायक है.

लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इससे आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ेगा. मूडीज एनालिटिक्स ने पूरे वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है.