अफगानिस्तान इन दिनों रोज़ नई चुनौतियों का सामना कर रहा है. तालिबानियों के बेकायदा हुकूमत ने वहां की आवाम को बुरी तरह से नए दहशत के दौर में ढकेल दिया है. इसकी बानगी पहले से मिलनी शुरू भी हो गई थी. आतंकियों के राज में गोली से कोई मरे न मरे लेकिन कैश की किल्लत से लोगों को मरने का डर सता रहा है. लगातार मिल रही मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि अफगानिस्तान में बीते हफ्ते भर से ज्यादा समय से हर बैंक और ATMs बंद पड़े हुए हैं. जिससे लोगों के पास कैश जमा पूंजी अब खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है. इससे अफगानियों में कंगाल होने के डर को साफ देखा जा रहा है.  

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बता दें कि काबुल में तालिबानी आतंकियों के तख्ता हथियाने के बाद से काबुल समेत देश के तमाम शहरों और कस्बों के बैंकों और एटीएम मशीनों में ताले लगे हुए हैं. जो ATM मशीनें बाहर हैं उनमें कैश ही नहीं है. और ना ही इन एटीएम मशीनों में कोई बैंक या कैश मैनेजमेंट संस्था पैसे डालने को राजी है. 

राजमर्रा की जरूरतें भी नहीं हो पा रही पूरी

अफगानिस्तान के लोग कैश की किल्लत में रोजमर्रा के लिए लगनेवाले समान भी नहीं ले पा रहे हैं. बैंक के खातों में पैसे हैं लेकिन उन्हें निकाल नहीं पा रहे हैं. यही नहीं पैसे न होने के कारण वहां के परिवारों को दो जून की रोटी दिला पाना कठिन हो रहा है. वहीं खान पान के साथ रोजमर्रा के सामान की कीमतें आसमान की ओर बढ़ते जा रही हैं.

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क्यों हो रही है ये परेशानी

अफगानिस्तान में अफगानिस्तान पेमेंट्स सिस्टम या शॉर्ट में कहें तो APS 2011 में साढ़े तीन साल पहले तैयार किया गया था. World Bank से फंडेड ये APS अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक का हिस्सा बन चुका है. ये पेमेंट सिस्टम अफगानिस्तान के लोगों को डिजिटल पेमेंट सिस्टम की ओर ले जाने के लिए शुरू किया गया एक अहम प्रोजेक्ट है. लेकिन अफगानिस्तानी अधिकांश लोग केवल कैश में लेन देन करते हैं.

डिजिटल पेमेंट सिस्टम की कमी

केवल 10 से 15% लोगों के पास ही बैंक खाते हैं. अफगानियों को डिजिट पेमेंट की ओर बढ़ाने के लिए APS प्रोजेक्ट अहम था, लेकिन इससे पहले कि ये सिस्टम लोगों के बीच पहुंचता, तालिबान ने काबुल पहुंच कर इसे पनपने से रोक दिया. नतीजतन कैश लेन देन वाली आबादी, बैंकों के लबे समय तक बंद रहने से नकद हीन होने लगी.इससे अब वहां भयंकर परेशानियां शुरू हो गई हैं.

ये समस्या क्यों गहराई

वहां के  सेंट्रल बैंक के गवर्नर अजमल अहमदी के मुताबिक अफगानिस्तान सरकार के एसेट्स विदेशी बैंकों में जमा है. तालिबानियों के काबिज़ होने के बाद इन अकाउंट्स को सुरक्षित करने के लिए इन्हें फ्रीज़ कर दिया गया है. देश में बिगड़ते हालातों को देखते हुए लोगों ने पहले से बैंकों में लंबी कतारें लगा के बड़े कैश अमाउंट अपने पास रख लिए, लेकिन अब बैंक लगातार बंद रहने से वो जमा पूंजी भी खत्म होने के कगार पर पहुंचने लगी है. 

अफगानिस्तान में एक बड़ी अनौपचारिक बैंकिंग प्रणाली है, जो  वहां स्थानीय बिना लाइसेंस वाले मुद्रा व्यापारियों के माध्यम से चलती है जो अभी भी काम कर रहे हैं, लेकिन बैंकिंग गतिविधि के बिना, पैसे की आपूर्ति जल्द ही खत्म हो जाएगी. वहीं बाहर से भी कैश फंड आने की उम्मीद तब खत्म हो गई जब वेस्टर्न बैंक ने भी अफगानिस्तान में सेवाएं बंद करने का एलान कर दिया.