Jul 24, 2023, 03:22 PM IST
आज गांवों में पशुपालन एक अच्छी कमाई का जरिया बना है. लोग दूध देने वाली भैंसों का पालन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं
आज हम भैंसों की टॉप 10 नस्ल की जानकारी दे रहे हैं, जो 500 से 2,500 लीटर तक दूध देती है
मुर्रा (Murrah) भैंसों की सबसे महत्वपूर्ण नस्ल है. इस भैंस की नस्ल हरियाणा के हिसार और सिंध, पंजाब के नाभा, पटियाला और दिल्ली राज्य के दक्षिणी भाग में पाई जाती है. ये भैंस 1500 से 2500 लीटर तक दूध देती है.
इसे डेक्कनी, गुजराती, तलबड़ा, चारटोर और नडियाडी के नाम से भी जाना जाता है. इस नस्ल का प्रजनन क्षेत्र गुजरात का कैरा और बड़ौदा जिला है. ये भैंस 1000 से 1300 लीटर तक दूध देती है
इस नस्ल की भैंस गुजरात के गिर वन, कच्छ और जामनगर में पाई जाती है. यह भैंस की सबसे भारी भारतीय नस्ल है. ये भैंस 1000 से 1200 लीटर तक दूध दे सकती है
यह नस्ल उत्तर प्रदेश के आगरा और इटावा जिले और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की है. इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता तकरीबन 800 से 1000 लीटर है
यह नस्ल रावी नदी के आसपास उत्पन्न हुई. यह नस्ल पंजाब के फिरोजपुर जिले की सतलज घाटी और अविभाजित भारत के साहीवाल (पाकिस्तान) में पाई जाती है. ये भैंस प्रति ब्यांत 1500 से 1850 लीटर दूध दे सकती है.
मेहसाणा भैंस की एक डेयरी नस्ल है जो गुजरात और निकटवर्ती महाराष्ट्र राज्य के मेहसाणा, साबरकांडा और बनासकांठा जिलों में पाई जाती है. ये भैंस प्रति ब्यांत 1200 से 1500 लीटर दूध दे सकती है.
इस नस्ल को एलिचपुरी या बरारी भी कहा जाता है. इस नस्ल का प्रजनन क्षेत्र महाराष्ट्र के नागपुर, अकोला और अमरावती जिले हैं. ये भैंस प्रति ब्यांत 700 से 1200 लीटर दूध दे सकती है
इस भैंस का नाम दक्षिण भारत की नीलगिरी पहाड़ियों की एक प्राचीन जनजाति टोडा के नाम पर रखा गया है और यह एक अर्ध-जंगली नस्ल है. ये भैंस प्रति ब्यांत 500 लीटर तक दूध देती है
इस नस्ल की भैंस दक्षिणी महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सोलापुर जिलों में पाई जाती है. ये भैंस प्रति ब्यांत औसतन 1790 लीटर दूध देती है
यह नस्ल पूरे गजपति जिले और ओडिशा के गंजम और रायगड़ा जिले के एक हिस्से के अलावा आंध्र प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है. ये भैंस प्रति ब्यांत 680 से 912 लीटर दूध दे सकती है